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स्व सहायता समूह की महिलाओं ने गोबर से बनाए ईको फ्रेंडली गणेश

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Published : Aug 22, 2020, 2:46 PM IST

Updated : Aug 22, 2020, 3:57 PM IST

धमतरी के छाती स्थित मल्टीयूटीलिटी सेंटर में स्व सहायता समूह की महिलाओं ने गोबर के गणपति बनाएं हैं. ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देने के लिए इस काम को शुरू किया गया हैं. महिलाओं को इससे घर बैठे रोजगार मिलता है. साथ ही अच्छी कमाई भी हो रही हैं. वहीं इसका फायदा गोधन वंश को बचाने में भी मिला है.

ganesh idol made of cow dung
गोबर के गणेश

धमतरी: जिला प्रशासन की पहल पर महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने अब गोबर से गणेश की मूर्ति तैयार की है. छाती में मौजूद मल्टीयूटीलिटी सेंटर में गोबर से निर्मित गणेश जी की प्रतिमाओं को महिलाओं ने आकर्षक और सुसज्जित रंगों से मूर्त रूप दे दिया है, जो अब बाजार में बिकने के लिए पूरी तरह से तैयार है. गोबर से बनी ये मूर्तियां प्लास्टर और मिट्टी से बनी मूर्तियों को भी पीछे छोड़ रही है.

महिलाओं ने बनाए ईको फ्रेंडली गणेश
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ( बिहान) के तहत धमतरी के ग्राम छाती स्थित मल्टीयूटीलिटी सेंटर में महिलाओं ने गणेश की तकरीबन 1300 आकर्षक मूर्तियां बनाई हैं. स्थानीय स्तर पर लोगों की मांग पर 200 रुपये की दर से 500 गणेश जी की मूर्ति का आर्डर भी पूरा हो गया है. मूर्ति इतनी साफ है कि विसर्जन के दौरान जल्द ही पानी में घुल जाएगी.गोबर से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा अब बाजार में बिकने को तैयार हैं. मूर्तियों को आकर्षक बनाने के लिए चावल उड़द,मूंग,मक्का के दाने का इस्तेमाल किया गया है.


महिलाओं को मिला रोजगार
महिलाएं बताती हैं कि पहले वे खेती किसानी का काम करती थीं, लेकिन अब प्रशासन की इस पहल से उन्हें रोजगार मिल रहा है. उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में उनके जीवन स्तर में भी बदलाव आएगा. जिला पंचायत सीईओ का कहना है कि महिलाओं को विभिन्न कार्यों के एवज में रोजगार देने की कोशिश की जा रही है.

पढ़ें: देश-विदेश में विराजेंगे गोबर के गणपति, घी और एलोवेरा से बनाई जा रही प्रतिमा

धमतरी की महिला स्वयं सहायता समूह की ओर से हाल ही में स्थानीय संसाधन यानी बांस,गोबर,फूल और सब्जियों के बीजों का उपयोग कर 10 हजार राखियां बनाई गई थीं, जिन्हें भरपूर सराहना मिली थी. इसके साथ ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी महिलाओं के इस कार्यों की जमकर सराहना की थी. इसके बाद महिलाओं का उत्साह दोगुना हुआ और महिलाओं ने स्वप्रेरित होकर गोबर गणेश की मूर्तियां बनाई हैं.राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत न सिर्फ महिलाओं को रोजगार मिल रहा है, बल्कि महिलाएं अब आत्मनिर्भर की ओर भी अग्रसर होती जा रही है. वहीं अपनी आर्थिक स्थिति भी मजबूत कर रही है.

Last Updated : Aug 22, 2020, 3:57 PM IST

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