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महिला सशक्तिकरण की मिसाल: कैंटीन चलाकर महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर

धमतरी शहर के अंबेडकर नगर वार्ड की महिलाओं ने 5 साल पहले स्वसहायता समूह बनाया. ये महिलाएं कलेक्ट्रेट परिसर में कैंटीन चला रही हैं. जहां हर रोज कैंटीन को 3 से 4 हजार रुपये की कमाई हो रही है. कमाई से ना सिर्फ महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है बल्कि इन महिलाओं में आत्मविश्वास भी आया है. जिससे अब ये महिलाएं और ऊंची उड़ान का सपना देख रही हैं.

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सहेली संग महिला स्वसहायता समूह की महिलाएं कैंटीन चलाकर घर चला रही

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Published : Jun 28, 2021, 6:20 PM IST

धमतरी:लगभग 5 साल पहले तक आर्थिक तंगी से जूझ रही महिलाएं अब आत्मनिर्भर हो गई हैं. शासन की तरफ से मिली योजना का लाभ लेते हुए धमतरी जिले के अंबेडकर नगर वार्ड में रहने वाली महिलाओं ने 'सहेली संग महिला स्वसहायता समूह' बनाया. इससे जुड़कर आज छत्तीसगढ़ी व्यंजन की कैंटीन चलाकर हर महीने हजारों रुपये कमा रही हैं.

कैंटीन चलाकर महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर

नगर के अंबेडकर नगर वार्ड में रहने वाली महिलाएं काफी गरीब जीवन बिता रही थीं. कुछ करने की इच्छा तो थी, लेकिन घर से बाहर निकलकर खुद को साबित करने की इच्छाशक्ति की कमी के चलते साहस नहीं जुटा पाती थीं. इसी बीच शासन की तरफ से संचालित महत्वपूर्ण स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना के बारे में जानकारी मिली. 10 महिलाओं ने 'सहेली संग महिला स्वसहायता समूह' बनाया. समूह बनने के बाद काम शुरू किया.

मुर्रा-लड्डू बनाने से शुरू किया रोजगार

स्वसहायता समूह तैयार होने के बाद पहले उन्हें आंगनबाड़ी में बच्चों को दिये जाने वाले मुर्रा-लड्डू बनाने का काम मिला. जिससे समूह को हर महीने 15 हजार रुपये की आय होने लगी. इनकी बचत राशि धीरे-धीरे बढ़ने लगी. आय के साथ आत्मविश्वास भी बढ़ा.

महिलाएं चला रही कैंटीन

कंपोजिट बिल्डिंग में चला रही कैंटीन

इसी बीच साल 2016 में जिले में विभिन्न कार्यालयों को एक जगह स्थापित करने के लिये कलेक्ट्रेट परिसर में कंपोजिट बिल्डिंग बनाया गया. जहां तत्कालीन कलेक्टर ने कर्मचारियों और वहां आने वाले लोगों के चाय, नाश्ता और खाने के लिए कैंटीन के लिए टेंडर जारी किया. इस टेंडर में सहेली संग महिला स्वसहायता समूह को कैंटीन संचालन की जिम्मेदारी मिली. जिसका अब तक सफल संचालन सहेली संग समूह की तरफ से किया जा रहा है. पिछले 5 सालों से ये महिलाएं कलेक्ट्रेट परिसर में कैंटीन चला रही हैं. जहां विभिन्न प्रकार के छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के साथ ही कई तरह का नाश्ता और खाने की व्यवस्था है. महिलाएं यहां अचार और पापड़ भी बनाकर बेचती हैं.

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हर रोज 3 से 4 हजार रुपये की होती है कमाई

समूह की सचिव हेमा साहू ने बताया कि कैंटीन में हर रोज औसतन 3 से 4 हजार रुपये की आमदनी होती है. कलेक्ट्रेट परिसर में होने के कारण सुबह से शाम तक ग्राहकों की भीड़ रहती है. कैंटीन का संचालन पूरी तरह से महिलाएं करती हैं. हर तरह के छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाने के साथ ही कई तरह का नाश्ता और खाना बनाया जाता है.

काम शुरू करने के बाद परिवार की समस्या हुई दूर

महिला समूह सदस्य राधिका साहू ने बताया कि उनके पास कोई काम नहीं था, जिससे उन्हें परिवार पालने की बड़ी समस्या हो गई थी. साल 2016 से उन्होंने कैंटीन संचालन का काम शुरू किया. तब से इनकी आर्थिक स्थिति काफी ठीक है.

'समहू की महिलाएं कर रही अच्छा काम'

धमतरी कलेक्टर पीएस एल्मा ने बताया कि जिले के सभी ब्लॉक में स्वसहायता समूह की महिलाएं काफी अच्छा काम कर रही हैं. कंपोजिट बिल्डिंग में स्वसहायता समहू की महिलाएं अलग-अलग व्यंजन बना रही हैं. वे डिमांड के अनुरूप भी पकवान बनाती हैं. इससे उनकी आय बढ़ रही है.

कैंटीन से होने वाली आय से समूह की हर सदस्य को महीने में साढ़े 3 हजार रुपये बांटे जाते हैं. 'सहेली संग महिला स्वसहायता समूह' ने 4 लाख रुपये की लागत से पापड़ बनाने की ऑटोमेटिक मशीन भी ली है. इस समूह के साथ-साथ शहर के अन्य समूहों के सदस्यों को जोड़कर बड़ी मात्रा में पापड़ तैयार कर बाजारों में उपलब्ध कराने की योजना तैयार की जा रही है.

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना

शहर में गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को रोजगार देने और उनकी आय को बढ़ावा देने के लिए स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना सरकार की तरफ से चलाई जा रही है. इस योजना के जरिए शहरी गरीबों को व्यवसाय के लिए ऋण दिया जाता है.

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