धमतरी: नई नीति के मुताबिक रेत खदानों की नीलामी के लिये तैयारी शुरू हो गई है. लेकिन नई गौण खनिज नीति की नई व्यवस्था को जमीन पर लागू करने के लिये प्रशासन के पास न पर्याप्त संसाधन है न ही स्टाफ. इस नई व्यवस्था में रेत पर तीन तरह के टैक्स लगने से रेत और महंगी होने के आसार हैं.
नई नीति के बाद महंगी हो सकती है रेत, आसान नहीं है राह - खनिज विभाग में न तो पर्याप्त खनिज निरीक्षक हैं और न स्टाफ
धमतरी के रेत खदानों की नीलोमी की तैयारी शुरू हो गई है. इसके लिए सरकार नई नीति के जरिए रेत खदानों का क्लस्टर बनाकर नीलामी होगा. नई नीति के मुताबिक रेत के कीमतों में बढ़ोतरी होने की संभावना है.
रेत पहले से ज्यादा महंगी होने की संभावना
धमतरी से निकलने वाली महानदी के घाटों पर रेत का अकूत भंडार है. जहां से लगातार साल भर रेत का वैध, अवैध उत्खनन और परिवहन जारी रहता है. छत्तीसगढ़ सरकार की नई नीति के बाद अब रेत खदानों का क्लस्टर बनाकर नीलामी की जानी है. इसकी तैयारी धमतरी में शुरू हो गई है.
- नई व्यवस्था में रेत उत्खनन और परिवहन पर कड़ी निगरानी सबसे बड़ी चुनौती रहेगी, जिससे किसी भी तरह की चोरी पर पूरी तरह से लगाम लगाई जा सके. निगरानी के लिए खनिज निरीक्षक के साथ खदानों पर सीसीटीवी कैमरों की जरूरत पड़ेगी. साथ ही जांच नाका भी जरूरी होगा लेकिन धमतरी खनिज विभाग में न तो पर्याप्त खनिज निरीक्षक हैं और न स्टाफ और सीसीटीवी की तो बात ही छोड़िये. अगर इन कमियों को पूरा करना है तो एक बड़ा प्रशिक्षित स्टाफ भर्ती करना जरूरी होगा.
- जिले भर के खदानो में सीसीटीवी लगवाने में बड़ी राशि की जरूरत पड़ेगी, जिसकी अभी चर्चा तक नहीं हो रही है. इन हालातो में नई नीति को जमीन पर उतारना बड़ी मुश्किल से कम नहीं है.
- जहां तक रेत सस्ती होने की बात है वो शायद संभव ही नहीं है. धमतरी में अभी रेत का रेट 50 रुपये प्रति घनमीटर है. एक ट्रैक्टर रेत की कीमत है अभी 800 रुपये प्रति ट्रेक्टर है. इस 800 में 150 रुपये रेत का दाम पंचायत के खाते में जाता है. 200 रुपए लोडिंग की मजदूरी, 200 रुपये डीजल का खर्च और सप्लायर का मुनाफा 250 रुपये प्रति ट्रिप. इस तरह से ग्राहक को एक ट्रैक्टर रेत 800 रुपये की पड़ती है.
- अब सरकार की नई नीति के आधार पर हिसाब लगाते हैं. अगर सरकार रिवर्स बीडिंग भी करती है तो भी रेत के दाम 50 रुपये प्रति घनमीटर से कम नहीं हो सकते. इसका मतलब ये कि अभी जितना खर्च है वो तो होगा ही वह पैसा भी इस दाम में जुड़ेगा जो अभी तक नहीं लगता था.
- मसलन 10 फीसदी डीएमएफ के लिए, साढ़े सात फीसदी पर्यावरण उपकर, साढ़े सात फीसदी अधोसंरचना उपकर और 2 फीसदी टीसीएस लगेगा. ये सारी रकम उपभोक्ता के जेब से निकलेगी और सीधे सरकार के खजाने में जाएगी. इस तरह से नई नीति की वजह से रेत पहले से ज्यादा महंगी होने की संभावना है.