धमतरीः जिले के प्राचीन मंदिरों में बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर का नाम प्रमुख है, इसे किले का मंदिर भी कहा जाता है. मंदिर सदियों से लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र बना हुआ है. यहां दूर-दराज से श्रद्धालु मन्नत लेकर पहुंचते हैं और कहा जाता है कि भगवान उनकी सभी मन्नत पूरी करते हैं.
शहर का बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर रतनपुर महामाया मंदिर जितना ही प्राचीन है, कुछ जानकारों का कहना है कि यह मंदिर 11 सौ साल पुराना है और सैकड़ों साल पहले कांकेर के राजघराने ने यह मंदिर बनवाया था. वर्तमान में जिस जगह पर यह मंदिर स्थित है, वहां पहले महल हुआ करता था. इसलिए इसे किले के बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर भी कहा जाता है.
स्वंयभू के रूप में प्रकट हुए थे भगवान शिव
मान्यता है धमतरी राजा ध्रुवा की राजधानी थी और जिस स्थान में यह मंदिर बना है उसके आस-पास किला हुआ करता था, जिसके चारों ओर मंदिर थे. किले में राम मंदिर, हनुमान मंदिर, भैरव मंदिर और किले के बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर आज भी मौजूद हैं. बता दें इतवारी बाजार स्थित बूढ़ेश्वर महादेव स्वयंभू हैं.
चमत्कारी और एतिहासिक शिवालय
मंदिर की दीवारों पर प्राचीन शैली की कई कलाकृतियां उकेरी गई हैं जो मंदिर की शोभा बढ़ा रही है. मंदिर प्रांगण में आज भी प्राचीनतम मूर्तियां स्थापित हैं. गर्भ गृह की बाहरी दीवारों पर कई तरह के कलात्मक डिजाइन बनाए गए हैं. इसे नागर शैली उत्कृष्ट नमूना भी माना जाता है. बड़े-बड़े पत्थरों पर कलाकारों ने कई दृश्य उकेरे हैं जो बहुत ही सुंदर नजर आते हैं. वैसे तो शहर में अनेक एतिहासिक शिवालय हैं जो चमत्कारी घटनाओं के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध हैं, लेकिन इतवारी बाजार में स्थित बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर में हर शिवरात्रि और सावन में भक्तों का मेला लगता है.
भक्तों की मुरादें करते है पूरी
मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान महादेव कई रूपों में भक्तों को दर्शन देने पहुंचते हैं कभी महादेव नागों के रूप मंदिर में दिखाई देते है तो कभी अन्य रूपों में भगवान प्रकट होकर अपने भक्तों को दर्शन देते हैं. मंदिर के पुजारी बताते है कि महादेव मंदिर का शिवलिंग चमत्कारी है सच्ची श्रद्धा के साथ जल चढ़ाने और पूजा करने वालों की हर मुरादें यहां पूरी होती हैं. मंदिर का इतिहास जितना पुराना है भक्तों की श्रद्धा भी उतनी गहरी है.