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लॉकडााउन के बीच परंपरा के मुताबिक जंगल में जीवन यापन कर कर रहे कमार जनजाति के लोग

कमार जाति के लोग लॉकडाउन के बीच अपनी परंपरा के अनुसार जंगल में जीवन यापन कर रहे हैं. लॉकडाउन खत्म होने के बाद ग्रामीण वापस घर लौटेंगे.

कमार परिवार
कमार परिवार

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Published : Apr 15, 2020, 12:21 AM IST

धमतरीः पूरे देश में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन है. लोगों को घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. वहीं शासन-प्रशासन की ओर से घर पर रहने की सख्त हिदायत दी गई है. इस दौरान गांवों में भरी दोपहरी में सन्नाटा छाया हुआ है. इस बीच धमतरी में कमार जनजाति परिवार अपनी परंपरा का निवर्हन कर रहे हैं.

कमार परिवार निभा रहा परंपरा

पाही के नाम से जाना जाने वाले इस परपंरा के तहत कमार परिवार के लोग हर साल गर्मी सीजन में गांव से कोसों दूर घने जंगलों के बीच पूरे परिवार के साथ अपनी अस्थायी बस्ती बसाते हैं, जहां वे जीवन यापन के लिए कई सारे काम करने के साथ ही अपने घर दैनिक उपयोग की सामग्री भी लाते है. गर्मी के सीजन में जंगलों में महुआ फूल का संग्रहण होता है. कमार परिवार के लोग भी सुबह से लेकर शाम तक इसी काम में लगे रहते हैं. पीने के पानी की तो इसकी व्यवस्था नाले में झरिया बनाकर करते हैं. पूर्वजों से चली आ रही इस परंपरा को कमार परिवार के लोग छोड़ने को तैयार नहीं है.

कमार परिवार निभा रहा परंपरा

लॉकडाउन हटने के बाद घर वापस पहुंचेगे
ग्राम पंचायत दुगली के कमारपारा के सात परिवार के लोग इसी परपंरा का निवर्हन करते हुए इन दिनों जंगलों में डेरा डाले हुए हैं. ये कहते हैं कि, जंगल में जो भी आवश्यक चीजों का संग्रहण होगा, उसे वे लॉकडाउन हटने के बाद घर वापस पहुंचेगे. बता दें कि राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले कमार जनजाति के लोग जिले में भी काफी संख्या में रहते हैं, जिनके संरक्षण के लिए देश और राज्य सरकार संकल्पित हैं.

कमार परिवार निभा रहा परंपरा

सूपा, टूकना, झेंझरी का व्यवसाय
कमार परिवारों के रोजमर्रा के काम की बात करें, तो ये बांस से सूपा, टूकना, झेंझरी, चरिहा जैसी सामाग्री बनाते आ रहे हैं और इसे लोगों के पास बेचकर अपना गुजर बसर करते हैं. कुछ परिवार अब खेती किसानी के कार्य से भी जुड़ चुके हैं.

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