धमतरी: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आजादी की लड़ाई के दौरान दो बार छत्तीसगढ़ आए थे. उनके इस प्रवास में बड़ा योगदान छत्तीसगढ़ के महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित सुंदरलाल शर्मा का था. गांधी जी की राह पर चलने वाले पंडित सुंदरलाल शर्मा को छत्तीसगढ़ का गांधी भी कहा जाता है. आखिर क्या थी इसकी वजह जानते हैं.
कंडेल सत्याग्रह में शामिल हुए थे बापू
1920 में धमतरी इलाके के किसानों ने अंग्रेजों की ओर से वसूले जा रहे लगान के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया था. अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ किसानों के इस हल्लाबोल की जानकारी देने पंडित सुंदरलाल शर्मा कोलकाता गए. उन्होंने महात्मा गांधी से मुलाकात कर किसानों के आंदोलन की जानकारी दी और आग्रह किया कि वे भी इस आंदोलन में पहुंचकर अपना समर्थन दें. गांधीजी पंडित सुंदरलाल शर्मा के आग्रह पर पहली बार छत्तीसगढ़ पहुंचे. इधर गांधी जी के आगमन की खबर सुनते ही अंग्रेजी प्रशासन ने लगान वाला फैसला वापस ले लिया. इसके बाद गांधीजी ने कंडेल पहुंचकर इस आंदोलन को समाप्त कराया था. इस आंदोलन के बाद से ही पंडित सुंदरलाल शर्मा और गांधीजी और करीब आए. बापू के बताए मार्ग पर चलते हुए उन्होंने कई सामाजिक कार्य की अगुवाई की. इनमें छुआछूत के खिलाफ चलाए जा रहा उनका अभियान प्रमुख है.