धमतरी: दंडकारण्य का प्रवेशद्वार कहे जाने वाले धमतरी में देवियों का हमेशा से ही वास रहा है. भक्ति और शक्ति के इस सगंम में कई चमत्कार भी होते रहते हैं. कहा जाता है कि इस सिद्धपीठ से कोई श्रद्धालु निराश होकर नहीं लौटता. यही वजह है कि हर नवरात्र में आस्था की ज्योत जलाने दूरदराज के लोग यहां पहुंचते हैं. हम बात कर रहे हैं गंगरेल की खूबसूरत वादियों के बीच विराजमान माता अंगारमोती की.
भक्ति और शक्ति का संगम है मां अंगारमोती का दरबार, यहां पूरी होती है भक्तों की हर मुराद
आज हम आपको लेकर चलेंगे धमतरी की खूबसूरत वादियों में विराजी मां अंगारमोती के दरबार. मां का यह मंदिर अपने अनोखे चमत्कार और मान्याताओं के लिए जाना जाता है.
अंगारा ऋषि की पुत्री हैं मां अंगारमाता
धमतरी में गंगरेल के पहाड़ों के बीच मौजूद मां अंगारमोती का ये दरबार बीते 600 साल के इतिहास को अपने अंदर समेटे हुए है. 1972 में जब जब बांध का निर्माण हो रहा था, उस समय पूरा गांव डूब गया इसके बाद, भक्तों ने नदी के किनारे माता का दरबार बना दिया. मान्यता के अनुसार माता अंगारमोती ऋषि अंगारा की पुत्री हैं और इस वजह से इनका नाम अंगारमोती पड़ा. पुजारी की माने तो सभी वनदेवियों की बहन मानी जाने वाली इस मां को शुरू से ही खुली वादियां ही पसंद हैं. ऐसी मान्यता है कि, इनके चमत्कार से कई नि:संतान महिलाओं की गोद भरी है.
महिलाएं बिना पल्लू लिए करती हैं पूजा
आपने हर मंदिरों में महिलाओं को सिर में पल्लू रखे देखा होगा, लेकिन इस मंदिर में महिलाएं बिना पल्लू लिए शीश नवाकर अपनी मां से प्रार्थना करती हैं. लोगों का कहना है कि, उन्होंने इस दरबार में माता की शक्ति को कई बार महसूस किया है. भक्तों का कहना है कि मां अंगारमोती दरबार में आए भक्तों को मां खाली हाथ नहीं भेजती हैं.