धमतरीः प्रदेश में आगामी 21 दिसंबर को नगरीय निकायों का चुनाव होना है. धमतरी नगर पालिक निगम प्रदेश का सबसे पुराना नगरीय निकाय है और आज तक यहां कांग्रेस कभी सत्ता में नहीं आ सकी. इस बार भाजपा और कांग्रेस जीत के अपने-अपने दावे पेश कर रहे हैं. कांग्रेस इस बार पहले से मजबूत अवस्था में है ऐसे में क्या इस बार धमतरी नगर निगम के इतिहास में बदलाव आएगा और कांग्रेस सत्ता में काबिज हो सकेगी.
जिले में प्रदेश का सबसे बड़ा बांध रविशंकर जलाशय है, जिससे जिले के साथ अन्य कई जिलों और इस्पात नगरी भिलाई में पानी सप्लाई किया जाता है. अंग्रेजों के शासन के समय धमतरी को म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन बनाया गया था.
कांग्रेस कर रही है गढ़ जीतने की तैयारी
धमतरी निकाय 135 साल पुराना है, जिसका राजनीतिक इतिहास दिलचस्प है. देश की सत्ता में दशकों तक काबिज रहने वाली कांग्रेस पार्टी धमतरी निकाय में कभी नहीं जीत सकी. स्थानीय प्रशासन में जनसंघ के दौर से लेकर वर्तमान बीजपी आज तक सत्ता में अपना कब्जा बनाई हुई है. धमतरी का मतदाता इस मामले में शुरू से एकतरफा ही चला है, लेकिन इस बार कांग्रेस की उम्मीदें और विश्वास पहले से ज्यादा ऊंची हो गई है. पहला कारण प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में वापसी ,दूसरा EVM की जगह बैलेट पेपर से मतदान और तीसरा महापौर का अप्रत्यक्ष चुनाव है. कांग्रेस ने अबकी बार धमतरी पालिका निगम का इतिहास बदलने का लक्ष्य रखा है जिसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है.
अंदुरूनी घात का डर
धमतरी नगर पालिक निगम में कांग्रेस की हारने की वजह पार्टी के अंदर की गुटबाजी, खींचतान को माना जाता रहा है. इसी कारण भीतरघात और खुलाघात होता रहा है. इसी वजह से बीते विधानसभा चुनाव में धमतरी की सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई. ये मर्ज कांग्रेस के लिये हमेशा घातक साबित हुई है. पार्टी में सीनियर कार्यकर्ता इस बार पार्टी के अंदर के दगाबाजों से सावधान रहने की सलाह दे रहे हैं और आगाह कर रहे हैं.
टिकट वितरण में सावधानी बरतना बेहद जरूरी
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक धमतरी के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में इस बार गुटबाजी का कोई असर दिखाई नहीं देता है. कांग्रेस को धमतरी निकाय का किला फतह करने के लिए एक्स्ट्रा एफर्ट और शार्प इलेक्शन मैनेजमेंट बेहद जरूरी होगा.