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धमतरी: दो साल से टूटा है सिंचाई के लिए बना चेकडैम, पानी के लिए भटकने को मजबूर 'अन्नदाता'

सरकारी मशीनरी ने सिंचाई की सुविधा के नाम पर सरकारी रकम का बंदरबांट किया गया.

चेकडैम

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Published : Apr 26, 2019, 8:53 PM IST

धमतरी: एक और किसान सिंचाई के लिए सड़क तक की लड़ाई लडने पर मजबूर है. वहीं दूसरी ओर सरकारी मशीनरी ने सिंचाई की सुविधा के नाम पर सरकारी रकम का बंदरबांट किया गया.

दो साल से टूटा है चेकडैम

टूट चुका है चेकडैम
धमतरी के मगरलोड इलाके के किसानों को सिंचाई सुविधा मुहैया कराने के लिए भूमि संरक्षण विभाग की ओर से चेकडैम का निर्माण कराया गया, लेकिन मौजूदा वक्त में यह डैम टूट चुका है, जिसकी वजह से किसानों को सिचांई सुविधा का फायदा नहीं मिल रहा है.

ये हैं किसानों के आरोप
किसानों ने विभाग पर सरकारी रकम के दुरूपयोग का आरोप लगाया है. वहीं जिला प्रशासन ने मामले में जांच कराने सहित समीक्षा करने की बात कही है. किसानों को सिंचाई के लिए पानी की सुविधा देने के लिए भूमि संरक्षण विभाग धमतरी ने हरित क्रांति विस्तार योजना के तहत साल 2016-17 में मगरलोड विकासखंड की ग्राम पंचायत बिरझुली के आश्रित गांव कमारिनमुड़ा में 14.99 लाख रुपए की लागत से चेकडैम का निर्माण कराया था, लेकिन वह बनने से कुछ वक्त बाद ही टूट गया.

सरकारी ठेकेदार ने कराया था निर्माण
बताया जा रहा है कि चेकडैम निर्माण में घटिया मटेरियल का इस्तेमाल किया गया है और शायद इसी वजह से यह टूट गया. चेकडेम के निर्माण का काम भूमि संरक्षण विभाग के ठेकेदार ने करवाया गया था.

गुणवत्ता नियमों का नहीं हुआ पालन
चेकडैम निर्माण में शुरुआत से ही गुणवत्ता के नियमों का पालन नहीं किया गया. मौजूदा वक्त में अब डेम के टूटने से भीषण गर्मी में किसानों को पानी के लिए मोहताज होना पड़ रहा है. किसानों ने चेकडेम निर्माण की जांच की मांग और भ्रष्ट लापरवाह ठेकेदार और अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कलेक्टर और मुख्यमंत्री से की है.

बनाया जा रहा चेकडैम
गौरतलब है कि धमतरी के मगरलोड इलाके में सिंचाई सुविधाओं की काफी लंबे समय मांग रही है और किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधा मिल पाए इसके लिए प्रशासन की ओर से चेकडैम निर्माण भी करवाया जा रहा है, जिसका जिम्मा भूमि संरक्षण विभाग धमतरी को दिया गया है.

सवालों के घेरे में भूमि संरक्षण विभाग
वहीं लाखों की लागत से बनने वाले चेकडैम के टूटने से भूमि संरक्षण विभाग सवालों के कटघरे में आ गया है, क्योंकि जिन जगहों पर ये डेम बनाया गया, वहां किसानों को सिंचाई सुविधा हीं नहीं मिल पा रही है. वैसे जिला प्रशासन ने गांववालों की शिकायत को संजीदगी से लेते हुए जांच के बाद कार्रवाई करने का भरोसा दिया है.

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