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दंतेवाड़ा में बच्चों के लिए वरदान बना 'छू लो आसमान विद्या परिषद'

नक्सल प्रभावित क्षेत्र (naxal affected area) में रहने वाले बच्चों के लिए 'छू लो आसमान विद्या परिषद' (Touch the sky Vidya Parishad) दंतेवाड़ा में वरदान (gift) साबित हो रहा है. यहां से बच्चे प्रतियोगिता (competition) की तैयारियां कर नित नए उड़ान (flight) भर रहे हैं.

'Touch lo sky Vidya Parishad' became a boon for children in Dantewada
दंतेवाड़ा में बच्चों के लिए वरदान बना 'छू लो आसमान विद्या परिषद'

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Published : Sep 12, 2021, 8:12 PM IST

दंतेवाड़ाः जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों (naxal affected area) में रहने वाले बच्चों के लिए 'छू लो आसमान विद्या परिषद' (Touch the sky Vidya Parishad) एक वरदान (a blessing) के रूप में साबित हो रहा है. एक ही परिसर के नीचे जिला प्रशासन (district administration) द्वारा इन बच्चों के लिए कोचिंग सेंटर (coaching center) खोले गए हैं. जिसमें नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बच्चों को निशुल्क रहने खाने-पीने की सुविधा दी गई है. साथ ही साथ इनका एडमिशन भी प्रशासन निशुल्क (Admission free) करा रहा है.

दंतेवाड़ा में बच्चों के लिए वरदान बना 'छू लो आसमान विद्या परिषद'
छत्तीसगढ़ में पहला एक ऐसी संस्था है जहां से कोचिंग (coaching) के बाद बच्चे नई ऊंचाइयां छू कर डॉक्टर, इंजीनियर, साइंटिस्ट (doctor, engineer, scientist) बन अपने सपनों को साकार कर सकते हैं. छूलो आसमान विद्या परिसर का मुख्य उद्देश्य यह है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में शिक्षा से वंचित बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी करके सपनों को पंख दे सकें(give wings to dreams).

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एक हजार से अधिक बच्चों ने बनाया अपना भविष्य

जिला प्रशासन ने आदिवासी बच्चों (tribal children) को नया भविष्य देने के लिए यहां 'छू लो आसमान परिसर' (Touch the sky complex) तैयार किया है. इस संस्था में अब तक 1 एक हजार से ज्यादा बच्चे pmt और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं (competitive exams) की पढ़ाई कर के देश में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. 'छू लो आसमान विद्या परिसर संस्था' को 2011-12 में शुरू किया गया था. यह एक आवासीय परिसर (housing complex) है. जिसमे 9वीं से ले कर 12 वीं तक के छात्र व छात्राएं (students and girls) अध्ययन करते हैं.


एक ही छत के नीचे होती है कई प्रतियोगिताओं की तैयारी
शिक्षा अधिकारी राजेश कर्मा ने बताया कि दंतेवाड़ा पहला ऐसा जिला है, जहां पर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के आदिवासी बच्चों के लिए जिला प्रशासन द्वारा एक ही परिसर के नीचे कई कोचिंग करवाई जा रही है और इसका फायदा अंदरूनी क्षेत्र के बच्चे उठा रहे हैं. इसके लिए निशुल्क कोचिंग की व्यवस्था की गई है. साथ ही साथ इनके रहने के लिए हॉस्टल मुहैया कराया गया है. इसका पूरा खर्च शासन-प्रशासन उठा रहा है.

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