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दंतेवाड़ा की 148 पीडीएस दुकानों में नेटवर्क नहीं, राशन को तरस रहे हितग्राही

दंतेवाड़ा जिले की 148 राशन दुकानों में नेटवर्क कनेक्टिविटी न होने का खामियाजा राशनकार्ड धारकों को उठाना पड़ रहा है. अंगूठा स्कैन नहीं होने से हितग्राहियों को राशन नहीं मिल पा रहा.

Ration card holders have to bear the brunt of lack of network connectivity
नेटवर्क कनेक्टिविटी ना होने का खामियाजा राशनकार्ड धारकों को उठाना पड़ रहा

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Published : Mar 13, 2022, 7:20 PM IST

दंतेवाड़ा :जिले में संचालित 148 पीडीएफ राशन दुकान में नेटवर्क कनेक्टिविटी नहीं होने के कारण उपभोक्ताओं को परेशानी उठानी पड़ रही है. नेटवर्क नहीं होने से ई-पॉश मशीन में राशनकार्ड हितग्राहियों के अंगूठे नहीं लग पा रहे हैं. इससे राशन नहीं बंट पा रहा है. ऐसे में बीपीएल कार्ड धारकों के सामने राशन की समस्या खड़ी हो गई है.

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आपको बता दें कि राशन की कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने पीडीएस सिस्टम को ऑनलाइन कर दिया है. जिसके तहत राशन दुकान में हर उपभोक्ता की एंट्री होती है. किस हितग्राही को कितना राशन मिला और कब दिया गया ये सारी चीजें डाटाबेस में सरकार जमा करती है.इस काम के लिए ई-पॉश मशीन का सहारा लिया जा रहा है.ये मशीन मोबाइल फोन के सिम कार्ड से चलती है.जिसमे अंगूठा लगाने के बाद ही राशन दिया जाता है.

नेटवर्क कनेक्टिविटी ना होने का खामियाजा राशनकार्ड धारकों को उठाना पड़ रहा

इस मशीन की सहायता से सही हितग्राही की पहचान की जाती है.मशीन में जब हितग्राही की उंगलियां स्कैन की जाती हैं तो उसकी डिटेल खुलती है.जिसके बाद ही राशन दुकान से उसे राशन मिलता है. लेकिन दंतेवाड़ा में नेटवर्क नहीं होने से ये मशीन डिब्बा हो चुकी हैं.

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दंतेवाड़ा के सुदूर इलाकों में टावर नहीं होने से लोग पैदल चलकर मुख्यालय या ब्लॉक तक राशन लेने के लिए आते हैं.लेकिन अब जिले में ही नेटवर्क नहीं है ऐसे में राशनकार्ड धारियों को राशन नहीं मिल पा रहा है.जिससे उन्हें वापस मायूस होकर अपने घर लौटना पड़ता है.

यह समस्या जिले में संचालित 148 राशन दुकानों की है. जिसमें नेटवर्क कनेक्टिविटी नहीं होने के कारण हफ्तों से राशन कार्ड धारी अपने राशन के लिए भटक रहे हैं. इसका खामियाजा राशन दुकान संचालक को भुगतना पड़ रहा है. आएदिन उनके साथ हितग्राही गाली गलौज और मारपीट की घटनाएं कर रहे हैं. जिसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की जा चुकी है. लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के कारण अब तक कुछ नहीं हो सका.

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