दंतेवाड़ा:छोटे से गांव झोड़ियाबाड़म में रहने वाले अनिल ने अपनी कला और प्रयास से रोजगार तक का सफर तय किया है. आपने स्टोन, मौली, ऊन, रेशमी धागों से बनी राखियां तो देखी होंगी, लेकिन दंतेवाड़ा के बाजार में इस रक्षाबंधन छिंद के पत्तों से बनी बेहद खास राखियां दिखाई दे रही है. जिसे अनिल ने तैयार किया है. छिंद के पत्ते पर अपनी कला के बल बूते अनिल ने रोजगार का जरिया खोज लिया. अब उसकी इस कला को रायपुर के लोग भी देख सकेंगे. इन राखियों को अन्य जिलों में भेजने की तैयारी चल रही है.
अनिल एक कान से सुन नहीं सकता है, लेकिन हौसले की कोई कमी नहीं है. उसने राखी और गुलदस्ते बनाना भी खुद सीखा है. अब गांव की महिलाओं और युवतियों को सशक्त बनाने के लिए उन्हें मुफ्त में ट्रेनिंग भी दे रहा है. ताकि आगे चलकर सभी रोजगार से जुड़ सकें. गांव की महिलाएं भी मन लगाकर इस नई कला को सीखने में लगी हुई हैं. युवतियों का कहना है कि वे रक्षाबंधन पर भाईयों को यहीं राखी बांधेंगी. साथ ही आने वाले वक्त में ये उनके रोजगार का जरिया भी बनेगा.