दंतेवाड़ा:नवरात्र में पंचमी के दिन माता स्कंदमाता (Mother Skandmata) के रूप में 5,000 से ज्यादा श्रद्धालु (Devotees) दंतेश्वरी धाम (Danteshwari Dham) पहुंचे. सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. आज दंतेश्वरी माता स्कंदमाता के रुप में पूजा की गई. श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए टेंपल कमेटी (Temple Committee) ने पूरी व्यवस्था कर रखी थी. वहीं, बस्तर के महाराजा कमल चंद भंजदेव ने बस्तर दशहरा के लिए दंतेश्वरी माता को निमंत्रण देने मंदिर पहुंचे. इसके साथ ही कोरोना गाइडलाइन का पालन किया गया.
दंतेश्वरी मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं ने किया स्कंदमाता स्वरूप का दर्शन
दरअसल शारदीय नवरात्रि में पांचमी के दिन श्रद्धालु की भीड़ देखी गई. इसको लेकर टेंपल कमेटी ने लाइन लगाकर सभी श्रद्धालुओं को मां दंतेश्वरी के दर्शन कराया और किसी भी श्रद्धालु बिना दर्शन के नहीं लौटाया गया.
मां दंतेश्वरी को मिला निमंत्रण कार्ड
पंचमी के दिन मां दंतेश्वरी की पूजा अर्चना कर मां दंतेश्वरी की डोली को मंदिर के प्रथम पक्ष में रखा गया. पंचमी के दिन राजा कमल चंद भंजदेव मां दंतेश्वरी को दशहरा के लिए निमंत्रण देने दंतेश्वरी मंदिर पहुंचते हैं. जिसके बाद विधि-विधान से पूज-अर्चना कर मां दंतेश्वरी को बस्तर दशहरा के लिए आमंत्रित किया गया . यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है.
मां दंतेश्वरी का स्वरूप स्कंदमाता की होती है पूजा
पुजारी विजेंद्र नाथ जिया ने बताया कि पंचमी के दिन मां दंतेश्वरी स्वरूप स्कंदमाता का विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर मां दंतेश्वरी का छत्रों व डोली को गर्भगृह से निकाल कर मंदिर के प्रथम कक्ष में रखा जाता है. जिसके बाद बस्तर के महाराजा कमल चंद भंजदेव द्वारा जगदलपुर से आकर मां दंतेश्वरी की पूजा-अर्चना कर बस्तर दशहरा के लिए आमंत्रित किया जाता है.
उन्होंने बताया कि देवी की डोली को अष्टमी के दिन दंतेश्वरी मंदिर से बाहर गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है. जिसके बाद जय स्तंभ चौक से होते हुए माई की डोली को धूमधाम से बस्तर दशहरा के लिए विदाई दी जाती है. जिसके लिए टेंपल कमेटी द्वारा माई की डोली को श्रद्धालुओं को दर्शन देने की जगह-जगह रोका जाता है और माई की डोली को धूमधाम से बस्तर दशहरा के लिए विदा किया जाता है. नवमी के दिन यह डोली जगदलपुर पहुंचती है.