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SPECIAL: कोरोना संकट के बीच बढ़ा IT का क्रेज, डिजिटल युग की ओर आज का 'भारत'! - छत्तीसगढ़ न्यूज

कोरोना संकट के बीच लगे लॉकडाउन में वैश्विक स्तर पर IT का न सिर्फ उपयोग बढ़ा है, बल्कि इसका महत्व भी बढ़ गया है, लेकिन समाज के कुछ जानकारों का कहना है कि इससे न सिर्फ समाज में मतभेद बढ़ेगा बल्कि किसी खास वर्ग पर इसका विशेष प्रभाव भी पड़ सकता है.

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कोरोना संकट में IT का बढ़ा क्रेज

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Published : Jun 24, 2020, 5:50 PM IST

बिलासपुर:अबतक के लॉकडाउन के सफर में बहुत सारे बदलाव देखे गए हैं और इस बदलते दौर ने सूचना प्रौद्योगिकी के महत्व को और ज्यादा बढ़ा दिया है. लगातार घरों में कैद हुए लोगों ने अपनों से जुड़ने और कामकाजी जीवन को सुचारू रूप से चलाने IT यानि सूचना प्रौद्योगिकी का ही सहारा ले रहे हैं. ETV भारत ने वैश्विक स्तर पर बढ़ते IT पर निर्भरता और IT के क्षेत्र में वर्तमान में देश की स्थिति को जानने की कोशिश की.

डिजिटल युग की ओर आज का 'भारत'!

सूचना प्रौद्योगिकी पर बढ़ती निर्भरता और उसके सामाजिक प्रभाव
IT एक्सपर्ट की राय

IT एक्सपर्ट प्रोफेसर एचएस होता ने ETV भारत से चर्चा में बताया कि भारत में ग्रामीण IT लिटरेसी शहरी क्षेत्र की तुलना में काफी कम है. जिसे बढ़ाने की जरूरत है. देश में इंटरनेट कनेक्टिविटी का विस्तार भी शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में काफी कम है. देश में फिलहाल 68.8 करोड़ लोग इंटरनेट यूजर हैं, जो कुल जनसंख्या का 51 फीसदी है. जिसे बढ़ाने की जरूरत है. भारत सरकार का डिजिटल इंडिया प्रोग्राम बीते कुछ सालों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, गवर्नेंस एंड सर्विसेज और डिजिटल एम्पावरमेंट को आधार बनाकर IT के क्षेत्र में कुछ बेहतर काम जरूर किया है, लेकिन वैश्विक पैमाने पर हम आज भी काफी पीछे हैं. इसके अलावा हमारे यहां IT स्किल्ड कम है, जिसपर आगे जोर देने की जरूरत है.

कोरोना संकट में IT का बढ़ा क्रेज

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वैश्विक स्तर पर इंटरनेट का उपयोग

  • भारत 51.7 फीसदी के साथ 122वें रैंक पर
  • चीन 58.80 फीसदी के साथ 108वें रैंक पर
  • यूएसए 75.23 फीसदी के साथ 70वें रैंक पर
  • बैंड विड्थ में भारत विश्व में 89वां रैंक पर
  • भारत देश में यह 6.5 Mb/s है
  • साउथ कोरिया 28.6 Mb/s के साथ दुनिया में पहले नंबर पर है.

IT एक्सपर्ट के मुताबिकभारत इस समय भले ही वैश्विक स्तर पर 122वें रैंक पर है, लेकिन इसमें सुधार की काफी गुंजाइश है. हालांकि बीते 3 से 4 सालों में अपनी स्थिति सुधारने में कामयाब जरूर हुए हैं, लेकिन IT डिपेंडेंसी के लिहाज से हमें अपनी स्थिति और सुधारनी होगी.
जिसमें IT इंफ्रास्ट्रक्चर, IT स्किल, नेट कनेक्टिविटी और नेट सेवा का और ज्यादा विस्तार करना होगा. जिसके बाद भारत IT पर निर्भर होकर दुनिया के मुकाबले और ज्यादा बेहतर परफॉर्मेंस दे सकेगा.


सामाजिक जानकारों की राय

सोशल एक्सपर्ट नंद कश्यप बताते हैं कि IT पर निर्भरता पूरी तरह से संभव नहीं है. IT पर निर्भरता तब समाज के लिए बेहतर साबित होगी, जब तकनीकी का विस्तार समान रूप से एकसाथ समाज के सभी वर्गों के लिए होगा. इसके साथ ही यह भी जरूर ध्यान रखना होगा कि IT का विस्तार व्यापक हित में हो, जो मानव श्रम और अधिकारों की रक्षा भी करे. कश्यप का कहना है कि तमाम चीजों के लिए व्यापक नीति के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है.

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महिलाओं के परिदृश्य में कितना कारगर है IT ?

इस मुद्दे पर प्रोफेसर अनुपमा सक्सेना का कहना है कि वर्तमान परिस्थितियां जल्द IT पर निर्भर होने के लिए जरूर प्रेरित कर रही है, लेकिन इस बीच हमें हमारे देश में महिलाओं को अत्यधिक IT फ्रेंडली और सशक्त बनाने की भी जरूरत है. भारत में महिलाएं, पुरुषों की तुलना में बहुत कम सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ीं हैं और उनमें IT स्किल तुलनात्मक रूप से काफी कम है. ऐसे में उनके पिछड़ने की आशंका भी ज्यादा है. इसके अलावा हाल ही में देश में ऑनलाइन हैरेसमेंट की शिकायतें भी बढ़ी है. अनुपमा सक्सेना बताती हैं कि महिला कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक पहले हफ्ते में 10 के आसपास ऑनलाइन हैरेसमेंट की शिकायत आती थी, जिसमें अब लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है. इसके साथ ही यह भी देखना होगा कि IT के विस्तार के बीच समाज में वर्गभेद और ज्यादा न बढ़े और पिछड़ा वर्ग सुविधाओं से वंचित न हो.
इस वैश्विक कोरोना संकट ने मानव के तौर तरीकों में व्यापक बदलाव और नए सिरे से जिंदगी जीने के लिए जरूर प्रेरित किया है और इन्हीं जरूरतों में से एक है सूचना प्रौद्योगिकी का विस्तार, लेकिन जरूरत है कि हर नया बदलाव एक ऐसी नीति से बंधा हो जो "सर्वजन हिताय" की मूल भावना से न भटके.

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