बिलासपुर : भिलाई के चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के छात्रों का भविष्य खतरे में नजर आने लगा है. इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में लगी याचिका में सुनवाई के बाद कोर्ट ने नेशनल मेडिकल कमिशन, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव और राज्य के स्वास्थ्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब देने का निर्देश दिया है. मामले में ग्रीष्मकालीन छुट्टी के बाद 14 जून को प्रकरण की सुनवाई होगी. इस मामले में हाईकोर्ट ने कॉलेज के 2016-17 बैच के एमबीबीएस स्टूडेंट की याचिका में कोर्ट ने माना कि छात्रों का भविष्य खतरे में आ सकता है, क्योंकि उन्हें मान्यता नहीं मिलने से आगे की पढ़ाई में खतरा हो सकता है.
Bilaspur News : चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के छात्र परेशान, मान्यता को लेकर हाईकोर्ट से लगाई गुहार
भिलाई के चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के छात्रों के भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है. इन छात्रों की डिग्री को नेशनल मेडिकल कमीशन ने मान्यता नहीं दी है. इसके कारण छात्र अब पीजी की पढ़ाई के लिए दाखिला नहीं ले पा रहे हैं.
क्यों छात्रों के भविष्य पर मंडराया खतरा :चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस के छात्रों ने 2016-17 के शिक्षण सत्र की मान्यता नहीं मिलने से भविष्य में खतरा होने की आशंका जताई है. छात्रों ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है. याचिका में बताया गया है कि एमबीबीएस के छात्रों की डिग्री को नेशनल मेडिकल कमीशन ने अब तक मान्यता नहीं दी है. उनके बार बार निवेदन पर भी नेशनल मेडिकल कमीशन समस्या को सुलझाने की बजाय अब तक लटका कर रखा है. एमबीबीएस के छात्र शुभम गुप्ता, वंशिका वर्मा ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और हर्ष मंदर रस्तोगी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.
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क्या है मेडिकल छात्रों की दलील :मेडिकल छात्रों के मुताबिक साल 2016 में चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया था. सभी मेडिकल कॉलेज की परीक्षा में पास भी हुए. इसी बीच 2021 में चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज को छत्तीसगढ़ सरकार ने अधिग्रहित कर लिया. साल 2022 में छात्रों एमबीबीएस का कोर्स हुआ. इंटर्नशिप पूरी करने के बाद उन्हें डिग्री और छत्तीसगढ़ मेडिकल कमीशन ने रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट भी दिया .याचिकाकर्ता दोनों छात्रों ने कहा कि वे मेडिकल पोस्ट ग्रेजुएशन का कोर्स भी करना चाहते थे. इसलिए नीट पीजी 2023 की परीक्षा में भी शामिल हुए और पास हुए है. लेकिन एमबीबीएस की मान्यता नहीं होने पर उनके पीजी का कोर्स औचित्यहीन हो सकता है. मामले में हाई कोर्ट की बेंच ने नोटिस जारी किया है और ग्रीष्मकाल की छुट्टी कर बाद सुनवाई रखी है.