रायपुर:मंगलवार को विधानसभा के विशेष सत्र में छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक 2020 पारित किया गया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में कहा कि हमने केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र या कानून को बिलकुल नहीं छेड़ा है. कृषि राज्य का विषय है, हमने वही किया है जो हमारे अधिकार क्षेत्र का विषय है. अब राज्यपाल या राष्ट्रपति हस्ताक्षर करते हैं या नहीं,यह उन पर निर्भर करता है. हम प्रदेश के किसानों के साथ हैं.
कृषि कानून को लेकर बोले सीएम कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक में 7 प्रावधान लाए गए हैं-
1-निजी मंडियों को डीम्ड मंडी घोषित किया जाएगा
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने सदन में चर्चा के दौरान कहा कि छत्तीसगढ़ में 80 फीसदी लघु और सीमांत किसान हैं. इन किसानों की कृषि उपज भंडारण और मोल-भाव की क्षमता नहीं होने से, बाजार मूल्य के उतार-चढ़ाव और भुगतान की जोखिम को ध्यान में रखते हुए, उनकी उपज की गुणवत्ता के आधार पर सही कीमत, सही तौल और समय पर भुगतान सुनिश्चित कराने के लिए डीम्ड मंडी और इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म की स्थापना करना जरूरी है, जो इस प्रावधान से संभव हो पाएगा.
2-राज्य सरकार के अधिसूचित अधिकारी को मंडी के जांच का अधिकार
राज्य में सभी मंडी खासकर डीम्ड मंडियों की जांच का अधिकार राज्य सरकार की तरफ से नियुक्त अधिकारी को होगा. वह मंडियों में सभी तरफ के ऑपरेशनल प्रक्रिया की जांच कर सकेगा.
3-अनाज की आवाजाही निरीक्षण में जब्ती का अधिकार
मंडियों में गड़बड़ी होने और अनाज को स्टोरेज कर लाने और ले जाने के दौरान अनियमितता होने पर अनाज की जब्ती का अधिकार भी मंडी से जुड़े अधिकारियों को दिया गया है.
4-निजी मंडियों में अधिकारियों को भंडारण की तलाशी का होगा अधिकार
सिर्फ सरकारी मंडियों में नहीं बल्कि निजी और डीम्ड मंडियों में भी भंडारण की तलाशी का अधिकार मंडी के अधिकारियों को दिया गया है. जिसका प्रावधान इस नए विधेयक में है.
5-मंडी समिति और अधिकारियों पर केस दायर करने का अधिकार
मंडी समिति पर नकेल कसने के लिए भी इस बिल में प्रावधान है. अगर मंडी में गड़बड़ी पाई जाती है तो मंडी समिति और उससे जुड़े अधिकारियों पर केस दायर करने का अधिकार होगा.
6-इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन भुगतान संचालन राज्य सरकार में बने नियम से होगा.
कृषि से जुड़े व्यापार और उससे जुड़े प्लेटफॉर्म में ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था राज्य सरकार के बने नियमों से की जाएगी.
7- सजा का भी प्रावधान
जानकारी छुपाने और गलत जानकारी देने पर 3 महीने की सजा या 5 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान इसके अलावा दूसरी बार गलती पर 6 महीने की सजा और 10 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.
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हम किसानों के साथ: सीएम भूपेश बघेल
सीएम भूपेश बघेल ने कृषि संशोधन बिल को लेकर कहा कि केंद्र का कृषि विधेयक जो देश के सर्वोच्च सदन में पारित हुआ उससे हमारे देशभर के किसान आंदोलित हैं. उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि 'केंद्र सरकार का ये कानून किसानों के अहित में है." प्राइवेट मंडी खोलने से देशभर में पुरानी मंडियों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा. कृषि कानून जमाखोरों के पक्ष में बनाया गया है. हम किसानों के साथ हैं, यही कारण है कि हम अपने अधिकार क्षेत्र में जो है, वो कर रहे है. हमारे पास मंडी अधिनियम है, उसमे संशोधन करके अपने प्रदेश के किसानों की रक्षा में काम करेंगे.
'केंद्र के कानून से सिर्फ पूंजीपतियों को फायदा'
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि केंद्र ने ये कानून केवल पूंजीपतियों के लिए बनाएं हैं.ये कानून किसानों को लाभ देने वाला नहीं है. बिहार में 2006 से ये कानून लागू है जिसे हटा दिया गया. वहां निजी मंडी है, सरकारी मंडियां खत्म कर दी गई है. ऐसा एक भी किसान नहीं है, जिसने 1300 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर भाव में धान बेचा होगा.
एक समर्थन मूल्य लाए सरकार
सीएम ने विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि कहा 'मोदी सरकार एक राष्ट्र एक कानून की बात करती है तो फिर एक कीमत भी ले आएं. पूरे देश में समर्थन मूल्य से एक रुपये कम में भी किसी किसान का धान नहीं बिकना चाहिए. ऐसा कानून ले आए तो हमें कानून बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
- किसानों को बचाने के लिए मंडी एक्ट में संशोधन किया गया है. जरूरत पड़ी तो और संशोधन करेंगे. केंद्र के कृषि कानून से सिर्फ पूंजीपतियों को फायदा है. चिटफंड कंपनियों की तरह लूटकर भाग जाएं, ये नहीं होने देंगे
- मंडी पर कानून बनाने का अधिकार राज्य का है. हम अपनी सीमाओं में रहकर संशोधन कर रहे हैं. केंद्र के कानून को नहीं छू रहे हैं.
- हम अपने राज्य के किसानों को सुरक्षित रखना चाहते हैं. हम यह चाहते हैं कि राज्य का किसान व्यापारियों से ठगा नहीं जाए, इसलिए कानून बना रहे हैं.
- अध्यादेश के जरिए भी कानून बना सकते थे लेकिन विशेष सत्र इसलिए बुलाया गया ताकि संशोधन एक्ट पर चर्चा की जा सके.
- धान का एकमात्र उत्पादक किसान हैं. सरकार हाथ खींच ले तो क्या होगा? किसानों को संरक्षण देना होगा.
- एक राष्ट्र, एक बाजार की बात करते हैं लेकिन एक कीमत की बात क्यों नहीं करते? मोदी एक राष्ट्र एक कानून की बात करते हैं तो फिर एक कीमत भी ले आएं. पूरे देश में समर्थन मूल्य से एक रुपये कम में भी किसी किसान का धान नहीं बिकना चाहिए. ऐसा कानून ले आएं तो हमें कानून बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
- हर साल 50 रुपए समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे में तो 30 साल लगेंगे. छत्तीसगढ़ अकेला राज्य है, जो स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट का पूरी तरह पालन करता है.
- छत्तीसगढ़ की सरकार किसानों के हक में खड़ी है और आगे भी रहेगी.
- हमारी सीमा में रहते हुए हम किसानों के, मजदूरों के और गरीबों के हित में काम करेंगे.
- नकल के चक्कर में भाजपा ने देश को बर्बाद किया.चुनाव के कारण बीजेपी ने बोनस दिया था.किसानों के साथ धोखा किया जा रहा है. केंद्र के कानून का आधार आर्थिक रूप से है. हमारा आधार किसानों के हित का संरक्षण है.
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'किसानों की रक्षा के लिए बनाया गया कानून'
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने इस विधेयक पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस संशोधन विधेयक का कोई भी प्रावधान केंद्र के कानून का उल्लंघन नहीं करता है. हम केंद्रीय कानूनों का अतिक्रमण नहीं कर रहे हैं. इस संशोधन विधेयक के जरिए छत्तीसगढ़ के किसानों के हितों और अधिकारों की रक्षा होगी. कृषि मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था कृषि पर आधारित है. केंद्र सरकार के नए कानूनों से कृषि व्यवस्था में पूंजीपतियों का नियंत्रण बढ़ने के साथ ही महंगाई बढ़ने, समर्थन मूल्य में धान खरीदी और सार्वभौम पीडीएस प्रणाली के प्रभावित होने की आशंका है. छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक से किसानों गरीबों, मजदूरों और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी.
डीम्ड मंडी और इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म की स्थापना जरुरी: रविंद्र चौबे
मंत्री रविंद्र चौबे ने चर्चा के दौरान इस संशोधन विधेयक के उद्देश्य और कारण भी बताए. उन्होंने कहा कि प्रदेश में 80 प्रतिशत लघु और सीमांत कृषक हैं. लघु और सीमांत कृषकों की कृषि उपज भंडारण और मोल-भाव की क्षमता नहीं होने से, बाजार मूल्य के उतार-चढ़ाव और भुगतान की जोखिम को ध्यान में रखते हुए, उनकी उपज की गुणवत्ता के आधार पर सही कीमत, सही तौल और समय पर भुगतान सुनिश्चित कराने के लिए डीम्ड मंडी और इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म की स्थापना किया जाना किसानों के हित में जरूरी हो गया है.
विशेष सत्र बुलाने के औचित्य पर विपक्ष का सवाल
विपक्षी सदस्यों ने विशेष सत्र बुलाने के औचित्य पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि सरकार अध्यादेश के जरिए भी कानून बना सकती है. विशेष सत्र सिर्फ प्रशासनिक और राजनीतिक आपदा की स्थिति में बुलाया जा सकता है. विपक्ष ने कहा कि इस कानून में कुछ नहीं है.
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बीजेपी का सदन से वॉक आउट
कृषि उपज मंडी संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान एक वक्त ऐसा भी आया जब बीजेपी ने सदन में हंगामा किया. कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम जब इस बिल पर बोल रहे थे तो बीजेपी ने सदन से वॉक आउट किया. इसके बाद बीजेपी सदस्यों की गैरमौजूदगी में कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक पर चर्चा हुई. बीजेपी ने सरकार पर इस बिल को पास कराने को लेकर हमला बोला है.
पूर्व सीएम रमन सिंह ने भी सरकार को घेरा
कृषि विधेयक को लेकर सदन में हुए हंगामें के दौरान पूर्व सीएम रमन सिंह ने कहा कि इस संशोधन विधेयक 2020 में वित्तीय ज्ञापन नहीं दिया गया है. यह अधूरा है, इसका कोई औचित्य नहीं है.