बिलासपुर:बिलासपुर-तखतपुर मुख्य मार्ग के ग्राम भरनी में स्थित हैं कालेश्वर महादेव, जो करिया मंदिर के नाम से पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध हैं. सावन के महीने में कोरोना काल के बावजूद दूर-दूर से लोग भगवान शिव के दर्शन करने यहां पहुंच रहे हैं.
कोरोना काल में भी कालेश्वर महादेव में भक्तों की भीड़
सावन के इस महीने में ETV भारत आपको शिवजी के धामों के दर्शन करा रहा है. सफर के इस पड़ाव में हम पहुंचे हैं बिलासपुर के कालेश्वर महादेव मंदिर में, जो करिया मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है. जिले से करीब 8 किलोमीटर दूर बिलासपुर-तखतपुर मार्ग पर भरनी गांव में कालेश्वर मंदिर स्थित है. कोरोना काल में भी दूर-दूर से लोग सावन के इस पवित्र महीने में अपने आपको यहां आने से रोक नहीं पा रहे हैं.
सावन सोमवारों के दौरान कालेश्वर महादेव मंदिर की रौनक देखते ही बनती है. प्रकृति के गोद में बसे इस मंदिर के साथ ही यहां स्थित दो-दो तालाब भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. कालेश्वर महादेव का दर्शन करने पहुंचे भक्तों की मानें तो यहां आने के बाद उन्हें सुकून मिलता है और भोलेनाथ उनकी तमाम मनोकामनाओं को पूरा करते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां दूर-दूर से भगवान भोलेनाथ का दर्शन करने लोग पहुंचते हैं. खासकर विशेष अवसरों पर यहां की रौनक देखते ही बनती है. यही वजह है कि कोरोना काल में भी आज यहां भक्तों के उत्साह में कोई कमी नहीं दिख रही है.
कोरोना काल में श्रद्धालुओं की भीड़ शिवलिंग के पास स्थित है पाताल छिद्र
मंदिर के संरक्षक उत्तम अवस्थी का कहना है कि उनका परिवार युगों से बाबा कालेश्वर की सेवा में जुटा है. ये मंदिर कितना प्राचीन है, इसका अनुमान आज तक नहीं लगाया जा सका है. पुरातत्व के जानकार भी इस मंदिर की प्राचीनता का अनुमान नहीं लगा पाए हैं. जानकारों की मानें तो मंदिर और इससे लगे तालाब का अस्तित्व सम्भवतः एक ही समय का है. तालाब के अस्तित्व के बारे में भी कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है. मंदिर के भीतर शिवलिंग के पास एक छिद्र भक्तों के लिए विशेष आकर्षण और कौतूहल का विषय है. इसे पाताल छिद्र का नाम दिया गया है. इस छिद्र की गहराई और छिद्र के माध्यम से जाने वाले पानी के अस्तित्व के बारे में आज तक कोई अनुमान नहीं लगाया जा सका है. छिद्र की गहराई का अंदाजा लगाने के लिए कई प्रयोग भी किए गए, लेकिन किसी को सफलता नहीं मिल पाई है.