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SPECIAL: विदेशों की चकाचौंध में कहीं बर्बाद न हो जाए बेटियों की जिंदगी! - Family court

विदेशी रौनक को देख अपनी बेटियों को शादी के बाद विदेश भेज देते हैं, लेकिन बाद में फैसला अक्सर महंगा पड़ जाता है. ETV भारत आपको शहर के कुछ ऐसे ही केस के बारे में बताने जा रहा है. पढ़िए खास रिपोर्ट.

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NRI दूल्हा

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Published : Oct 29, 2020, 11:06 PM IST

बिलासपुर:अक्सर लोग विदेश में रहनेवाले दूल्हे और विदेशी रौनक को देख अपनी बेटियों को शादी के बाद विदेश भेज देते हैं. फिर बाद की जो परिस्थियां बनती है वो बेहद भयावह होती है. दो देशों के बीच फंसनेवाले ऐसे मामलों में उन्हें कई कानूनी पेचीदगियों को भी झेलना पड़ता है और अक्सर पीड़ित पक्ष या तो न्याय पाने के लिए लंबा इंतजार करता है, या फिर उसे न्याय ही नहीं मिलता. ETV भारत आपको बिलासपुर के दो ऐसे मामले मामलो के बारे में बताने जा रहा है जो देशों का मसला होने के कारण बीते दिनों काफी सुर्खियों में रहा.

NRI दूल्हा

पहला मामला- शहर की एक बेटी बीते 2 सालों से एक छोटे बच्चे के साथ बिलासपुर में अपने मायके में रह रही है. वे अमेरिका के बाल्टीमोर में एक बंधक की जिंदगी जीने को मजबूर थी. उनका पति डी रविशंकर शादी के बाद उनको भारत से अमेरिका तो ले गया, लेकिन वो लगातार उसे प्रताड़ित करता था. पति-पत्नी की इस लड़ाई में लगातार एक मासूम के प्रताड़ित होने की खबर जब बिलासपुर में उसके दादा-दादी के बीच आती थी तो उस बेटी के माता-पिता सहम जाते थे.

अमेरिका में लड़ रही थी कानूनी लड़ाई

युवती लगातार अमेरिका में रहकर अपने पति के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही थी. उसके पति ने भी उसके खिलाफ अमेरिका में ही केस दायर किया था. मीडिया के जरिए युवती के प्रताड़ना को जब लगातार दिखाया गया तब विदेश मंत्रालय ने भी इस ओर पहल की. युवती और उसके बच्चे के साथ देश लौटाने की कवायद तेज हो गई. युवती के पास न तो वीजा था और मेडिकल इंश्योरेंस. उन दिनों गर्भवती युवती बेहद ही मुश्किल हालात में जिंदगी जी रही थी.

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पति की तरफ से कोई आर्थिक मदद नहीं

युवती के जेहन में हमेशा हिंसा का डर बना रहता था. पति की तरफ से एक रुपये की मदद नहीं मिल रही थी. युवती लगातार आर्थिक संकट का सामना कर रही थी. युवती बताती हैं कि जब कभी भी विदेश जाने की बात आए तो हमें कागजी तौर पर मजबूत होना चाहिए. साथ ही आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के बाद ही विदेश जाने की सोचनी चाहिए.

सोच समझकर लें ऐसा फैसला

युवती की मां बताती हैं कि जब मामला बेटी को विदेश भेजने का आए तो बहुत सोच समझ कर फैसला लेना चाहिए. शादी से पहले सिर्फ एजुकेशनल बैकग्राउंड पता कर लेना ही काफी नहीं है. बल्कि लड़के के बारे में, उसके चरित्र के बारे में, एक-एक जानकारी जबतक नहीं मिल जाती है तबतक इस तरह का फैसला नहीं लेना चाहिए. हड़बड़ाहट में जो उन्होंने फैसला लिया वो गलत निकला. विदेश में अपने देश जैसा माहौल नहीं रहता. जिसका खामियाजा हमारी बेटियों को भुगतना पड़ता है.

दूसरा मामला- ऐसा ही एक केस बिलासपुर की एक और बेटी के साथ हुआ. युवती की मौत (अबुधाबी) युएई में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी. युवती बिलासपुर के वरिष्ठ पत्रकार की बेटी थी. युवती दुबई में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम भी करती थी. पति सिंधु घोष से लगातार उसका विवाद होते रहता था. युवती की शादी के बाद लगातार पैसे की मांग को लेकर उसका पति उसे प्रताड़ित करता था. इस मामले में उसके पति की गिरफ्तारी हुई, लेकिन दो देशों के बीच फंसे इस मामले में भी युवती के माता-पिता को बड़े पापड़ बेलने पड़े. दोनों ही मामलों में दोनों परिवार को बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ा.

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प्रत्यर्पण संधि को लेकर होती है कठिनाइयां: निरुपमा

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता निरुपमा बाजपेयी बतातीं हैं कि इन मामलों में प्रत्यर्पण संधि (extradition treaty) को लेकर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. अक्सर पीड़ित पक्ष को देर से न्याय मिलता है. जो अपने आप में किसी सजा से कम नहीं है. ये मामले धोखाधड़ी, दहेज प्रताड़ना, पहले से शादी करने के आधिन होते हैं.

इन मामलों को सुलझाना आसान नहीं: सत्यभामा

सोशल एक्टिविस्ट सत्यभामा अवस्थी बतातीं हैं कि अलग-अलग देशों में घरेलू प्रताड़ना को अलग-अलग तरीके से परिभाषित किया गया है. इसलिए इन मामलों में कानूनी अड़चनें बहुत आती है. बात ज्यादा बिगड़ने पर अन्य देश में रह रहीं बेटियों को घर लाना आसान भी नहीं होता. दूरी होने के कारण और दो देशों के मामलों में फंसने के कारण इन मामलों को सुलझाना आसान नहीं होता. इसलिए शादी से पहले बहुत सोच समझ कर इस तरह का कोई फैसला लेना चाहिए.

जल्दबाजी से बचें

पुलिस आलाधिकारी भी बताते हैं कि अक्सर स्टेटस सिंबल के कारण विदेशों में शादी करना भारी पड़ता है. इन मामलों में ज्यादातर मामले दबकर रह जाते हैं. दो देशों की कानूनी उलझनों के कारण पुलिस चाहकर भी कुछ नहीं कर पाती. इसलिए जब कभी भी इस तरह का फैसला लें तो पूरी तस्दीक कर लेनी चाहिए. जल्दबाजी में फैसला लेना ठीक नहीं है.

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