बिलासपुर:कहते है बच्चे मां बाप के बुढ़ापे की लाठी और सहारा होते है. मां बाप अपने बच्चों को बड़े ही लाड प्यार और हसरतों से पाल पोषकर बड़ा करते हैं. वहीं मां जहां अपनी कोख में नौ महीने अपना खून सींचकर उसे जीवन देने के बाद उसे थोड़ी सी सर्दी भी हो जाए तो पूरी रात जागकर उसके ठीक होने की कामना करती है. बिलासपुर जिले के रतनपुर में एक 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला बेटे के जुल्मों सितम से डरी सहमी रात-रात भर सड़क या कचरे के ढेर के पास बैठने को मजबूर है.
कलयुगी बेटा का मां पर जुल्म
पुनिया बाई के चार बेटी और दो बेटो में से एक बड़ा बेटा का पहले ही स्वर्गवास हो चुका है. वही उसके पति भी इस दुनिया मे नहीं है. चारों बेटियों का विवाह हो जाने पर वे अपने-अपने ससुराल में रहती हैं. ऐसे में केवल एक बेटा जगदीश ही बचा है जिसके पास रहकर पुनिया बाई अपने जीवन के बचे कुछ दिन जी लेना चाहती है, लेकिन शायद इस बुजुर्ग महिला के किस्मत असहाय होने पर बेटे के हाथों मार खाना और तिरस्कृत होना ही लिखा है. इस महिला के बुढ़ापे में इस तरह दुर्दशा देखकर हर किसी के आखों में आंसू आ जाता है, लेकिन उस पत्थर दिल बेटे का दिल नहीं पसीजता अपने बेटे के हाथों मार खाने के बाद भी महिला ना किसी से शिकायत करती है. ना अपने बेटे को कुछ कहती है.