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समाज कल्याण विभाग में घोटाले को लेकर लगाई गई पुनर्विचार याचिका HC ने की खारिज - 2 IAS अधिकारियों के पनर्विचार याचिका

समाज कल्याण विभाग में घोटाले को लेकर कुंदन सिंह ठाकुर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिस पर फैसला सुनाते हुए 30 जनवरी को न्यायालय ने पूरे मामले की जांच की जिम्मेदारी केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) को सौंप दी थी. इसके साथ हाईकोर्ट ने मामले में CBI को 7 दिनों के भीतर FIR दर्ज करने के आदेश दिए थे. जिस पर पुनर्विचार याचिका लगाई गई थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

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Published : Feb 6, 2020, 7:28 PM IST

बिलासपुर: समाज कल्याण विभाग में NGO के माध्यम से किए गए घोटाले के मामले में दायर दो पुनर्विचार याचिका को हाईकोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दिया है. बुधवार को सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था. जस्टिस प्रशांत मिश्रा और पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की.

बता दें कि समाज कल्याण विभाग में घोटाले को लेकर कुंदन सिंह ठाकुर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिस पर फैसला सुनाते हुए 30 जनवरी को न्यायालय ने पूरे मामले की जांच की जिम्मेदारी केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) को सौंप दी थी. इसके साथ हाईकोर्ट ने मामले में CBI को 7 दिनों के भीतर FIR दर्ज करने के आदेश दिए थे.

इस घोटाले में अनेक IAS अफसरों के नाम सामने आए हैं. जिनमें से दो अधिकारियों ने हाईकोर्ट के सामने पुनर्विचार याचिका दायर की थी. जिन दो अधिकारियों की पुनर्विचार याचिका न्यायालय ने खारिज की, उनके नाम बी.एल अग्रवाल और सतीश पांडे हैं. दोनों ही याचिकाकर्ताओं को घोटाले के मामले पक्षकार बनाया गया है.

क्या है मामला

'समाज कल्याण विभाग में घोटाले को लेकर कुंदन सिंह ठाकुर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिस पर फैसला सुनाते हुए 30 जनवरी को न्यायालय ने पूरे मामले की जांच की जिम्मेदारी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी थी. साथ ही CBI को मामले में 7 दिनों के भीतर FIR दर्ज करने का भी आदेश दिया था. इस घोटाले में कई IAS अफसरों के नाम सामने आए हैं. जिनमें से दो अधिकारियों ने हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी. जिन पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

याचिकाकर्ता कुंदन सिंह ठाकुर की ओर से आरोप लगाया गया था कि 'राज्य स्त्रोत निःशक्त जन संस्थान केवल कागजों में बनाया गया है. इसमें याचिकाकर्ता और अन्य लोगों को कर्मचारी बताकर सभी भत्तों के साथ वेतन आहरित किया जाता था. इस जन संस्थान के माध्यम से निःशक्तजनों को प्रशिक्षण देने के साथ ही बेहतर जिंदगी जीने के लिए साधन उपलब्ध कराए जाने की कवायद की जाती थी, लेकिन यह सब कुछ कागजों में था. बीते दस साल में इस संस्थान के माध्यम से अब तक एक हजार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है.

शासन ने भी लगाई याचिका

जांच का जिम्मा CBI को सौपने के फैसले के बाद मामले में शासन की ओर से भी पुनर्विचार याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है, जिस पर शासन ने जवाब देने के लिए हाईकोर्ट से समय मांगा है. अब शासन की ओर से दायर हस्तक्षेप याचिका के मामले की सुनवाई 7 फरवरी को होगी. मामले में बुधवार को CBI ने भोपाल में मामले में पहली FIR दर्ज कर ली है.

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