बिलासपुर: छत्तीसगढ़ सरकार तेंदूपत्ता खरीदी योजना शुरू कर चुकी है, जिसमें स्थानीय आदिवासी जंगलों में जाकर तेंदूपत्ता इकट्ठा कर रहे हैं और उन्हें समितियों में बेच रहे हैं. भोले-भाले आदिवासियों से 100 गड्डी के साथ 4 से 5 गड्डी ज्यादा पुरौना के रूप में अवैध तरीके से लिया जा रहा है.
तेंदूपत्ता इकट्ठा करते आदिवासी भालू प्रभावित क्षेत्र होने के बावजूद भी गरीब आदिवासी जान जोखिम में डालकर जंगल में जाते हैं और तेन्दूपत्ता तोड़ते हैं. विभाग के पास संग्राहकों की सुरक्षा के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है. हालांकि मामला सामने-सामने आने के बाद विभाग टास्क फोर्स और उड़नदस्ता के माध्यम से कार्रवाई की बात कह रहा है.
इस काम में शामिल रहता है पूरा परिवार
मरवाही वन मंडल के चार वन परिक्षेत्र में 16 समितियों के माध्यम से तेंदूपत्ता खरीदी का काम शुरू हो चुका है, जिसमें इलाके के आदिवासी जंगलों से तेंदूपत्ता संग्रहण कर इन समितियों में बेचने आ रहे हैं. तेंदूपत्ता संग्रहण में लगभग पूरा का पूरा परिवार ही लगा रहता है, जिसमें तेंदूपत्ता तोड़ने से लेकर गड्डी बनाने और संग्रहण केंद्रों में बेचने तक का काम है. समितियों में ग्राहकों को प्रति गड्डी लगभग 50 पत्ते देना रहता है, जिसकी दर 1000 गड्डियों पर 4000 रुपए निर्धारित है. हालांकि इसके बाद शासन उन्हें बोनस के रूप में भी रुपए या सामग्री देता रहा है.
हितग्रामी अधिक पत्ते देने की बात कर रहे स्वीकार
इस बार भी संग्राहक से फड़ मुंशी प्रति 100 गड्डी पर चार गड्डी ज्यादा पुरौना के रूप में ले रहे हैं, लेकिन कैमरे के सामने मुंशी हितग्राहियों से अधिक पत्ते लेने की बात से इंकार कर रहा है. वहीं हितग्राही दबी जुबान से अधिक पत्ते देने की बात स्वीकार कर रहे हैं. संग्राहक चली आ रही परंपरा के अनुसार चार गड्डी ज्यादा देने को मजबूर हैं.
ग्रामीण रोज उठाते हैं भालू का खतरा
इसके साथ ही मरवाही वन मंडल के जंगलों में भालुओं की भारी तादाद है, जो गर्मी के मौसम में जंगली फल तेंदू, चारा खाने से लेकर पानी और छाव के लिए जंगलों में विचरण करते रहते हैं, जिससे आए दिन इनका आमना-सामना हो जाता है, लेकिन पैसे और पेट के लिए ग्रामीण रोज यह खतरा उठाने को मजबूर हैं.
मरवाही वन मंडल आ रहा है सख्त नजर
31 हजार 900 मानक बोरा का लक्ष्य लेकर खरीदी करता मरवाही वन मंडल पुरौने को लेकर काफी सख्त नजर आ रहा है. वन मंडल अधिकारी मीडिया से यह बात सामने आने की बात कहते हुए तुरंत ही उड़नदस्ते और ट्रांसफर के बॉस के माध्यम से इस पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही पत्र लिखकर फड़ मुंशियों को भी निर्देश दिया गया है कि किसी भी रूप में संग्राहकों से अब पुरौना न लिया जाए.
जंगल के अंदर न जाने के विभाग ने दिए निर्देश
वहीं भालू प्रभावित क्षेत्रों में मुठभेड़ रोकने के लिए विभाग के पास कोई योजना तो नहीं है, लेकिन संभावित खतरे को देखकर राहत और बचाव के लिए विभाग ने समितियों के माध्यम से संग्राहकों को जंगल के अंदर न जाने और एहतियात बरतने के ही निर्देश दिए हैं.