गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: मरवाही विधानसभा उपचुनाव में पहुंचविहीन वनांचल में मतदान केंद्र बनाए जाने को लेकर ग्रामीणों में नाराजगी है. इसे लेकर उन्होंने जिला निर्वाचन अधिकारी से मांग करते हुए कहा कि क्षेत्र भालू प्रभावित है, जहां कोई भी बड़ी घटना कभी भी हो सकती है, जबकि पंचायत चुनाव में उनके गांव में मतदान केंद्र खोला गया था. लोगों का कहना है कि उपचुनाव में मत डालने के लिए इस बार यहां पोलिंग बूथ नहीं बनवाया जा रहा है. ग्रामीणों ने जिला निर्वाचन अधिकारी से आग्रह किया है कि उनके क्षेत्र में ही मतदान केंद्र खोले, नहीं तो वे वोटिंग नहीं करेंगे. जिला निर्वाचन अधिकारी ने ग्रामीणों को समझाने और जागरूक करने की बात कही है.
मतदान केंद्र नहीं बनाए जाने से लोगों में नाराजगी मरवाही विधानसभा में उपचुनाव की घोषणा के बाद लगातार सभी पार्टियों के नेताओं का दौरा और कार्यक्रम शुरू हो गया है. वहीं मरवाही विकासखंड के कुछ गांव ऐसे भी हैं, जो इस पूरे मतदान प्रक्रिया से खुद को अलग रखने का अल्टीमेटम शासन-प्रशासन को दे रहे हैं. इसके पीछे उनका कारण भी वाजिब लग रहा है.
गांव से मतदान केंद्र 8 से 10 किलोमीटर दूर
दरअसल मरवाही विकासखंड के बरगवां ग्राम पंचायत की दूरी मतदान केंद्र से लगभग 8 से 10 किलोमीटर है. इसी पंचायत के ढिंठोरा गांव की दूरी भी 5 से 8 किलोमीटर है. सचराटोला ग्राम पंचायत के आश्रित देवरीडांड़ गांव मतदान केंद्र से 5 से 8 किलोमीटर दूर है. वहीं अमेंरा टिकरा ग्राम पंचायत के आश्रित मौहरी गांव की दूरी भी 5 से 8 किलोमीटर है. इसी तरह कुम्हारी ग्राम पंचायत और माडाकोट जैसे 9 ग्राम पंचायतों से भी मतदान केंद्र की दूरी 5 से 8 किलोमीटर तक है, जबकि इन गांवो में मतदाताओं की संख्या प्रति ग्राम कम से कम 250 है.
भालू प्रभावित क्षेत्र है यह इलाका
इन सभी गांव में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के समय गांव के अंदर ही मतदान केंद्र खोले गए थे. जबकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बनाए गए बूथ की दूरी 5 से 10 किलोमीटर तक है. इसके साथ ही कई गांवों में मतदान केंद्रों तक पहुंचने के लिए नदी-नाले तक पार करने पड़ते हैं. इसके अलावा मतदान केंद्रों तक पहुंचने के लिए जो रास्ता है, वह भी कच्चा और उबड़-खाबड़ है, जो मुख्य मार्ग से पूरी तरह अलग है. इसके अलावा यह पूरा इलाका बहुत ज्यादा भालू प्रभावित है.
मतदान प्रक्रिया का बहिष्कार
ग्रामीणों का कहना है कि दिन के समय ही रास्ते में भालू मिल जाते हैं. ऐसे में वोट डालने के लिए उन्हें परिवार सहित सुबह से जाना पड़ेगा. वहीं वोट डालकर लौटने तक अंधेरा हो जाएगा. इन परिस्थितियों में भालू मिलने की संभावना सबसे ज्यादा है. ऐसे में अगर प्रशासन उनके गांव में ही मतदान केंद्र खोलेगा, तभी वे वोट देने जाएंगे. नहीं तो वे इस प्रक्रिया का बहिष्कार करेंगे.
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ऐसा नहीं है कि प्रशासन को ग्रामीणों की समस्या और मांग की जानकारी नहीं पहुंचाई गई है. मरवाही जनपद के पूर्व जनपद उपाध्यक्ष राम शंकर राय ने कलेक्टर के पास ऐसे सभी गांव की सूची और ग्रामीणों की मांग पहुंचाई है, लेकिन प्रशासन ने अब तक उस पर कोई संज्ञान नहीं लिया है. वहीं इस मामले में जब जिला निर्वाचन अधिकारी (कलेक्टर) से बात की गई, तो उन्होंने पूरे मामले की जानकारी पहले से होने की बात कही है. उन्होंने स्वीकार करते हुए कहा कि उनके पास मांग तो आई है, लेकिन अब इसमें कुछ होना संभव नहीं है. फिर भी वे ग्रामीणों को जागरूक करने की कोशिश करेंगे कि वह ज्यादा से ज्यादा संख्या में वोटिंग करें. वहीं मतदान बहिष्कार के संबंध में उन्होंने कुछ भी नहीं कहा.
चुनाव में हर एक व्यक्ति का वोट है जरूरी
लोकतंत्र में हर एक व्यक्ति का वोट बहुत ही महत्वपूर्ण है. चुनाव आयोग का भी यह लगातार प्रयास है कि हर एक व्यक्ति मतदान करे, जिसके लिए कोरोना का हाल में नियम बदलते हुए डाक मतपत्र और पोलिंग बूथ बढ़ाने पर भी काम हुआ. बावजूद मरवाही विधानसभा के भालू प्रभावित क्षेत्रों में बूथ नहीं बनने पर मतदाताओं का वोटिंग प्रक्रिया से खुद को बाहर कर लेना अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लगाता है.