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बिलासपुर : सरकारी दफ्तरों में फायर सेफ्टी सिस्टम ध्वस्त, आग लगने पर सिलेंडर के पिन खुलने की भी गारंटी नहीं - सेफ नहीं है बिलासपुर फायर सेफ्टी सिस्टम

बिलासपुर में फायर सेफ्टी सिस्टम महज खानापूर्ति के लिए (Fire safety system is not Safe in Bilaspur) है. जिस विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी गई है, वह दूसरे के भरोसे आंखें मूंदे बैठा है.

fire safety system in bilaspur
बिलासपुर में फायर सेफ्टी सिस्टम

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Published : Mar 28, 2022, 7:49 PM IST

Updated : Mar 28, 2022, 10:02 PM IST

बिलासपुर:बिलासपुर में बड़े भवन और शासकीय संस्थानों में फायर सेफ्टी सिस्टम के साथ खानापूर्ति हो रही (Fire safety system is not Safe in Bilaspur) है. फायर सेफ्टी की जिम्मेदारी जिस विभाग को दी गई है, वह दूसरे के भरोसे इस जिम्मेदारी को पूरा करने की बात कहकर कर्तव्य से भाग रहा है. ऐसे में अगर अगलगी की घटनाएं हो जाती हैं तो इसपर नियंत्रण की कोई तैयारी नहीं है.

उठाना पड़ सकता है बड़ा नुकसान :गुजरात के कोचिंग सेंटर में दो साल पहले हुई अगलगी और जनहानि जैसी घटना के बाद भी फायर सेफ्टी की जिम्मेदारी के लिए विभाग तैयार नहीं है. बिलासपुर के कई निजी और शासकीय संस्थानों के बड़े-बड़े भवनों में फायर सेफ्टी को लेकर कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. इन भवनों में सैकड़ों की तादाद में काम करने वाले कर्मचारियों को अगलगी से बचाने के उपाय महज दिखावे के लिए किये गए हैं. जहां फायर सिस्टम हैं, वह सालों से बंद हैं. एक्सपायरी डेट भी निकले सालों बीत गए हैं. ऐसे में यदि शासकीय और अशासकीय भवनों में अगलगी होगी तो बड़ी जनहानि हो सकती है.

सेफ नहीं है बिलासपुर फायर सेफ्टी सिस्टम

सरकारी विभागों में सबसे ज्यादा लापरवाही :बिलासपुर के शासकीय विभागों के दफ्तरों में फायर सेफ्टी सिस्टम लगे ही नहीं हैं. कई ऐसे विभाग हैं, जहां फायर सेफ्टी के लिए फायर सिलेंडर तो लगाए गए हैं. लेकिन यदि उसका उपयोग करने का समय आया तो शायद वो काम ही नहीं करेंगे. सिलेंडर इतने पुराने हो गए हैं कि उसका पिन जाम हो गया है. रिफिलिंग डेट निकले सालों बीत गए हैं. शासकीय विभागों में न तो पानी की व्यवस्था सही तरीके से है और न ही बालू की. ऐसे में यदि किसी दिन बड़ी घटना हो जाए तो जिम्मेदार कौन होगा. यह बड़ा सवाल है.

नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, एरिकेशन, आबकारी, जिला शिक्षा विभाग जैसे करीब 25 विभाग नए और पुराने कंपोजिट बिल्डिंग में संचालित होते हैं. लेकिन फायर सेफ्टी की व्यवस्था के नाम पर वहां महज खानापूर्ति ही की गई है. अकेले नगर निगम में सैकड़ों की तादाद में 3 मंजिला बिल्डिंग में कर्मचारी काम करते हैं. यहां का फायर सिलेंडर एक्सपायर हुए महीनों बीत गए हैं. दोबारा इसकी रिफिलिंग भी नहीं कराई गई है.

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होमगार्ड को मिली है फायर सेफ्टी सिस्टम लागू कराने की जिम्मेदारी :कुछ साल पहले राज्य सरकार ने फायर सेफ्टी और आग बुझाने की जिम्मेदारी नगर निगम से लेकर छत्तीसगढ़ होम गार्ड को दी है. होम गार्ड केवल खानापूर्ति कर रहे हैं. विभागीय अधिकारियों की मानें तो वो निर्माणाधीन भवनों के लिए आने वाले आवेदनों में फायर सेफ्टी की व्यवस्था बनाने और सुझाव की मांग करते हैं. वो पुराने फायर सिस्टम की जांच नहीं करते, बल्कि डिमांड पर ही जाते हैं. मतलब शहर के भवनों की फायर सेफ्टी सिस्टम भगवान भरोसे है.

जिले में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसकी वजह से कई लोगों की जान जा चुकी है. ऐसे भवनों और निजी संस्थानों में आग लगने के बाद फायर सेफ्टी की व्यवस्था नहीं होने से छोटी-छोटी घटनाए हुई हैं. लेकिन जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

Last Updated : Mar 28, 2022, 10:02 PM IST

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