बिलासपुर:प्रकृति ने छत्तीसगढ़ के कई स्थानों को खूबसूरती से नवाजा है. यहां प्राकृतिक सुंदरता के साथ धर्म और आध्यात्म का भी अनूठा संगम देखने को मिलता है. इसी संगम का केंद्र एक द्वीप है जिसे मदकु द्वीप के नाम से जाना जाता है. मुंगेली जिले का मदकु द्वीप धर्म और आस्था का बड़ा केंद्र है. जहां इसका अपना प्राचीन इतिहास है, वहीं प्राकृतिक सुंदरता भी इसे खास बनाती है. शिवनाथ नदी से घिरे इस द्वीप में इन दिनों आस्था का बड़ा मेला लगा हुआ है. झोपड़ी पर्व मध्य भारत के मसीही मेले के रूप में जाना जाता है. यहां मसीही समाज के अनुयायी और धर्म गुरु जुटे हुए है.
क्यों खास खास है मसीही मेला:मान्यता है कि मांडूक्य ऋषि ने इसी स्थल पर विराजित होकर मंडुकोपनिषद की रचना की थी. मदकुद्वीप में इस समय मध्यभारत का सबसे बड़ा मसीही मेला लगा हुआ है. बताया जाता है कि 1909 से यहां इस मेले की शुरुआत हुई है. तब से लेकर लगातार 114 वर्षो से यहां मसीही मेले का आयोजन हो रहा है. हर वर्ष फरवरी माह में मसीही मेले का आयोजन किया जाता है. मेले के दौरान छत्तीसगढ़ सहित देशभर से मसीही समाज के लोग यहां जुटते हैं.
दो भाग में होता है मेले का आयोजन: एक सप्ताह तक चलने वाले इस मेले का अयोजन दो भागों किया जाता है. पहला भाग रिट्रीट का होता है, जिसमें मेले की सफलता के लिए प्रार्थना की जाती है. वहीं दूसरे भाग में मेले की शुरुआत होती है. इसमें धर्म और अध्यात्म के अलग- अलग कार्यक्रम आयोजित होते हैं. मसीही समाज के लोग सामुहिक रूप से एक पंडाल के नीचे प्रभु की अराधना करते हैं. प्रभातफेरी, गीत संगीत, काव्य पाठन, वाद- विवाद, विचार गोष्ठी सहित कई कल्चरर कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं. बाहर से आए स्पीकर समाज को आध्यात्मिक संदेश भी सुनाते हैं.