बिलासपुर :रिसर्च और नवाचार (Research and Innovation) को बढ़ावा देने के लिए बिलासपुर के गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी (Guru Ghasidas Central University) ने मलेशिया (Malaysia)के यूनिवर्सिटी ऑफ टूनकू अब्दुल रहमान (यूटार) (University of Toonku Abdul Rahman)के साथ एमओयू (MOU)साइन कर नए शोध में काम करने के लिए कदम बढ़ा दिया है. इस एमओयू से यूनिवर्सिटी के विभाग और शिक्षक आपस में मिलकर अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता के साथ बेहतर इंपैक्ट फैक्टर वाले शोध पत्रों का प्रकाशन करेंगे. जिसका सीधा लाभ देश के शोधार्थियों को मिलेगा.
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी और मलेशिया यूनिवर्सिटी यूटार के साथ एमओयू साइन हो गया है. इस एमओयू से 2 देशों के दो संस्कृतियों के आदान-प्रदान के लिए गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने बड़ी पहल की है. सीयू ने यूके मलेशिया के यूसीएआर यूनिवर्सिटी ऑफ टूनकू अब्दुल रहमान के साथ महत्वपूर्ण एमओयू किया है जिसके तहत दोनों यूनिवर्सिटी के विभाग व शिक्षक मिलकर अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता के साथ बेहतर इंपैक्ट फैक्टर वाले रिसर्च प्रोग्राम व नए टेक्निकल एरिया पर काम करेंगे. वहीं, ये सेंट्रल यूनिवर्सिटी पहला यूनिवर्सिटी होगा जिसने इस अंतरराष्ट्रीय यूनिवर्सिटी के साथ कोलैबोरेशन किया है . इससे भविष्य में नए शोध को बढ़ावा तो मिलेगा ही, साथ ही नए शोधार्थियों को काफी कुछ नया सीखने में मदद मिलेगी .
यूनिवर्सिटी का फोकस रिसर्च और नवाचार को बढ़ावा देने पर जोर
दरअसल कोरोना महामारी के बाद गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी का फोकस रिसर्च और नवाचार को बढ़ावा देने पर है जिसे लेकर सीयू ने बड़ा पहल करते हुए मलेशिया के यूनिवर्सिटी ऑफ टूनकू अब्दुल रहमान के साथ महत्वपूर्ण एमओयू किया है. यूटार का ऑस्ट्रेलिया अमेरिका और यूरोप और कई देशों के साथ कोलैबोरेशन है . यूनिवर्सिटी इस एमओयू के साथ विश्वविद्यालय के 32 विभाग अलग-अलग क्षेत्रों में यूटार के साथ मिलकर रिसर्च एरिया में काम करेंगे विशेष तौर पर फॉर्मेसी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ,आयुर्वेदिक, मेडिसिन, बायो, टेक्नोलॉजी ,फिजिक्स, नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी और एडवांस मटेरियल के क्षेत्र में नवाचार को मौका मिलेगा. वहीं, इस विषय पर कुलपति डॉ. आलोक कुमार चक्रवाल ने बताया कि इस अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के साथ सीयू देश का पहला विश्वविद्यालय है जिसने कोलैबोरेशन किया है. इससे ज्ञान संवर्धन और नए टेक्निकल एरिया में काम करने के साथ रिसर्च और नवाचार की संभावना बढ़ेगी. साथ ही विद्यार्थियों व अध्यापकों को इसका सीधा लाभ मिले सकेगा.
कुलपति ने आपसी करार को दोनों देशों की संस्कृति समानता के लिए बताया अहम