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छेरछेरा पर ETV भारत की खास रिपोर्ट, जानिए इस लोकपर्व की महत्ता

छत्तीसगढ़ में छेरछेरा का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. वहीं किसानों की मानें तो वो छेरछेरा के माध्यम से दान देकर ईश्वर तक उनका हिस्सा पहुंचाने की कोशिश करते हैं.

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Published : Jan 10, 2020, 8:14 PM IST

ETV bharat's special report on Chharchera
छेरछेरा पर ETV भारत की खास रिपोर्ट

बिलासपुर:आज प्रदेश के जिस किसी भी हिस्से में आप जाएंगे वहां लोगों की टोलियां आपको मिलेगी जो 'छेरछेरा-माई कोठी के धान ल हेरहेरा' बोलती हुई नजर आएंगी. यही खूबसूरती है हमारे कृषि प्रधान राज्य छत्तीसगढ़ की, जहां लोक परंपरा और तीज त्योहार एक दूसरे से गुथे हुए नजर आते हैं और हर त्योहार एक अनूठा संदेश देता है.

छेरछेरा पर ETV भारत की खास रिपोर्ट

धान दान करने का महत्व
छेरछेरा पौष पूर्णिमा के दिन यानी आज के दिन बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. इस त्योहार में बच्चों और युवाओं की टोलियां घर-घर पहुंचकर धान लेती हैं. लोग बड़े ही खुशी से धान देते हैं.

ईश्वर तक उनका हिस्सा पहुंचाने की कोशिश
इस समय किसान फसल को अपने घर जमाकर रखते हैं. बीते कुछ महीने तक जी जान से मेहतन कर किसान धान की कटाई और मिसाई कर लेते है. किसानों की मानेंस तो वो छेरछेरा के माध्यम से दान देकर ईश्वर तक उनका हिस्सा पहुंचाने की कोशिश करते हैं.

ईश्वर का आभार प्रकट
जानकारों की, मानें तो प्रदेश का एक-एक तीज त्योहार कहीं ना कहीं कृषि कार्य के महत्व और त्योहार के माध्यम से मजबूत ग्रामीण सामाजिक ताने-बाने को बताता है. यह त्योहार दानशीलता के महत्व को भी बताता है और सामाजिक समरसता को भी जाहिर करता है. छेरछेरा ईश्वर का आभार भी प्रकट करता है.

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जानकार आधुनिक कृषि उपकरण और नए तकनीकी के बढ़ते चलन को देखकर चिंता भी जाहिर करते हैं और इसे कृषि कार्य और ग्रामीण संस्कृति के लिए एक खतरा भी मान रहे हैं. छत्तीसगढ़ का छेरछेरा तो हमें यही संदेश देता है कि मानव जीवन में दान से बढ़कर कुछ भी नहीं है. इसमें सामाजिक समरसता भी है लोक कल्याण का एक उत्कृष्ट भाव भी.

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