छत्तीसगढ़

chhattisgarh

महिलाओं से संबंधित विषयों पर ETV भारत की अनुपमा सक्सेना से खास बातचीत

By

Published : Mar 7, 2020, 6:51 PM IST

विश्व महिला दिवस के अवसर पर ETV भारत की टीम ने महिलाओं की वर्तमान सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर गुरुघासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी की राजनीतिशास्त्र की विभागाध्यक्ष अनुपमा सक्सेना से चर्चा की.

ETV bharat discusses issues related to women with Anupama Saxena
महिलाओं से संबंधित विषयों पर ETV भारत ने की अनुपमा सक्सेना से चर्चा

बिलासपुर:8 मार्च को विश्व महिला दिवस है. महिला दिवस के मद्देनजर एक बार फिर पूरे विश्व में महिलाओं की वर्तमान स्थिति और महिला सशक्तिकरण जैसी बातें चरम पर हैं. महिला दिवस के अवसर पर ETV भारत की टीम ने महिलाओं की वर्तमान सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर गुरुघासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी की राजनीतिशास्त्र की विभागाध्यक्ष अनुपमा सक्सेना से खास बातचीत की.

महिलाओं से संबंधित विषयों पर ETV भारत ने की अनुपमा सक्सेना से चर्चा

बातचीत के दौरान अनुपमा ने कहा कि 'पूरे विश्व और विशेषकर अपने देश में आय की असामनता बढ़ी है, जिसका सीधे तौर पर दुष्प्रभाव महिलाओं के आय पर बढ़ा है. उन्होंने आगे कहा कि 'जब बेरोजगारी बढ़ती है, तब पुरूष भी महिलाओं के काम पर अतिक्रमण करते दिखते हैं. इसका दुष्प्रभाव कामकाजी महिलाओं पर पड़ता है. ऐसी स्थिति में महिलाएं फिर से घर में सिमट के रह जातीं हैं. महिलाएं जो घर में काम करतीं हैं वह काम एक तरह से अनपेड वर्क की तरह है. एक आंकड़े के मुताबिक पूरे विश्व में महिला जितना घरेलू काम करतीं हैं, वो पूरे विश्व के आईटी प्रोफेशनल के काम का तिगुना है.'

महिलाओं के केयर वर्क पर सरकार ध्यान दे

जानकार का मानना है कि 'महिलाएं अक्सर घरेलू काम में व्यस्त रहतीं हैं. इस कारण से भी उन्हें बाहर काम का अवसर कम ही मिलता है. महिलाएं बुजुर्गों की सेवा,बाहर से पानी-लकड़ी जुटाने जैसी आवश्यक घरेलू कामों में जुटीं रहतीं हैं, इस कारण से उन्हें बाहर निकलने का अवसर नहीं मिलता है. सरकारों को चाहिए कि वो महिलाओं के इन कामों के मद में खर्च करे और इन कामों के लिए पेड वर्कर की व्यवस्था करे. इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और घरेलू महिलाओं को बाहर बतौर पेड वर्कर काम करने का मौका मिलेगा. यह जरूरी है कि घरेलू काम को सिर्फ और सिर्फ महिलाओं का दायित्व न माना जाए बल्कि पुरुष भी उसे निभाए'.

पितृसत्तात्मक सोच अभी भी गहरी

आज समाज में महिलाएं जरूर पहले की अपेक्षा अधिक सशक्त हुईं हैं. लेकिन अभी भी पितृसत्तात्मक सोच गहरी पैठ बनाई हुई है. चाइल्ड केयर लीव के रूप में सिर्फ महिलाओं को ही काम से दूर क्यों किया जाता है, यह एक बड़ा सवाल है. पुरुष भी इस जिम्मेदारी को निभा सकते हैं. यह एक तरह की पुरुष प्रधान मानसिकता है.

स्वास्थ्य-शिक्षा और आवश्यक कानून का सफल क्रियान्वयन जरुरी
महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जिस पर अभी बहुत काम करना जरुरी है. बात कानून की करें तो महिलाओं के हक में कानून तो बहुत है. लेकिन कानून का सफल क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details