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बिलासपुर में कर्मचारियों पर काम बंद का दबाव दे रहे कर्मचारी नेता

बिलासपुर में सरकारी कर्मचारियों के हड़ताल में शामिल न होने वाले कर्मचारियों पर कर्मचारी नेता काम बंद करने का दबाव दे रहे हैं. इन कर्मचारी नेताओं पर जबरन कार्यालय बंद कराने का आरोप है.

government employees strike
काम नहीं करने का दबाव दे रहे कर्मचारी नेता

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Published : Jul 27, 2022, 7:06 PM IST

बिलासपुर:छत्तीसगढ़ में सरकारी कर्मचारियों ने महंगाई भत्ते को लेकर 5 दिवसीय काम बंद हड़ताल किया है. कर्मचारी संगठन जिला मुख्यालयों में धरने पर बैठ गए हैं. बिलासपुर में भी कर्मचारियों के अलग-अलग संगठन धरना प्रदर्शन कर मांग पूरी करने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे (employee leaders are pressurizing employees to stop work In Bilaspur) हैं. एक तरफ जहां कर्मचारी काम बंद हड़ताल कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर कुछ कर्मचारियों के साथ दैनिक वेतनभोगी और कलेक्टर दर पर काम करने वाले कर्मचारी कार्यालयों में काम कर रहे हैं, जिन्हें कर्मचारी नेता काम नहीं करने दे रहे. कर्मचारी नेता कार्यालयों से बाहर आकर दुर्व्यवहार के साथ ही कार्यालयों में ताला जड़ रहे है.

काम नहीं करने का दबाव दे रहे कर्मचारी नेता

कार्यालय में ताला लगा रहे कर्मचारी नेता:बता दें कि पूरे राज्य के लगभग 2 लाख से अधिक कर्मचारी काम बंद हड़ताल पर हैं. वह महंगाई भत्ता के साथ ही 7 सूत्री मांगों को लेकर जिला मुख्यालयों में धरने पर बैठ गए हैं. कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने पर कार्यालयों में कामकाज पूरी तरह से ठप पड़ गया है. विकास कार्य तो दूर सामान्य कामों के लिए आने वाली जनता के भी सभी काम अटके हुए हैं. कार्यालय पूरी तरह से कर्मचारी विहीन हो गया है. ऐसे में अधिकारी वर्ग काम कराने के लिए दैनिक वेतन भोगी और कलेक्टर दर पर काम कर रहे कर्मचारियों को वैकल्पिक तौर पर उपयोग कर रहे हैं. लेकिन अब इन कर्मचारियों को भी हड़ताली कर्मचारी काम नहीं करने दे रहे हैं. हड़ताली कर्मचारी और उनके नेता कार्यालयों में रोजाना जांच करने पहुंचते हैं. जो कर्मचारी काम करते दिखता है, उस पर हड़ताल में शामिल होने दबाव बनाते हैं. इसके अलावा उनके साथ दुर्व्यवहार भी करते हैं. कर्मचारी नेता काम करने वाले कर्मचारियों को कार्यालय से बाहर कर कार्यालय के दरवाजे पर ताला जड़ रहे हैं.

"हमारा साथ दो आपको भी फायदा होगा":सरकारी कार्यालयों में काम कर रहे कर्मचारियों को अपने हड़ताल में शामिल कराने पहुंचने वाले कर्मचारी नेता भीड़ में जाते हैं. नारा लगाते हुए कार्यालयों में प्रवेश करते हैं. इस विषय में कर्मचारी नेताओं का कहना है कि हम कार्यालय में काम कर रहे कर्मचारियों से सहयोग मांगने जाते हैं. हम उनसे कहते हैं कि हमारा साथ दो, क्योंकि हमारी मांगों में एक मांग यह भी शामिल है कि दैनिक वेतन भोगियों को नियमित किया जाए और समान काम समान वेतन दी जाए. हमने किसी भी कर्मचारी के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया है. कार्यालय में काम कर रहे कर्मचारी स्वयं उन्हें अपना समर्थन देते हैं ताकि हड़ताल में बैठे कर्मचारियों की मांगे पूरी हो जाए. उनकी 7 सूत्रीय मांग पूरी होने पर उनका भी फायदा होगा." आगे कर्मचारी नेता जीएस चंद्र ने बताया, "रोजाना कार्यालयों में काम कर रहे कर्मचारियों से अपील करने पहुंचते हैं. उनका हड़ताल सरकार को मजबूर कर देगा कि कर्मचारी एकता के सामने सरकार को झुकना पड़ेगा."

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भय से नहीं बोल रहे कार्यालय के कर्मचारी:हड़ताल के दौरान कार्यालयों में काम कर रहे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हड़ताली कर्मचारी संगठन के दबाव की वजह से सामने आकर कुछ भी नहीं बोल पा रहे हैं. लेकिन दबी जुबां में बताया कि वो हड़ताल में शामिल नहीं है, क्योंकि यह हड़ताल उनके संगठन का नहीं है. वैसे भी वे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं. हड़ताल पर जाने से कभी भी उनको नौकरी से अलग किया जा सकता है. इसलिए वे कार्यालयों में बैठकर काम करते हैं. लेकिन कर्मचारी संगठन के नेताओं के दबाव की वजह से वह काम भी नहीं कर पा रहे हैं.

आम जनता के कई काम अटके:राज्य में कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से जनता के कई काम अटके हुए है. जनता तहसील, नजूल, एसडीएम कार्यालय के अलावा राज्य सरकार के 32 विभागों में काम करवाने पहुंच रहे हैं, लेकिन कर्मचारियों के नहीं होने से काम नहीं हो रहा है. कार्यालयों में ताला लगा होने की वजह आम जनता बिना काम के वापस जा रहे हैं.

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