बिलासपुर: बस्तर के उमरकोट जगदलपुर मार्ग पर ओडिश सीमा से 25 अप्रैल 2022 को बेचने ले जाये जा रहे एक जीवित पैंगोलिन को जब्त किया गया था. वन विभाग ने उसे रायपुर लाकर जंगल सफारी में रखा था. इस मामले में हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. समय अभाव के कारण अब इस मामले की सुनवाई सोमवार यानी 30 मई 2022 को होगी.
रायपुर जंगल सफारी में इस पैंगोलिन को रखा गया है. रायपुर के समाजसेवी और आरटीआई कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पेंगोलिन की रिहाई को लेकर याचिका लगाई है. याचिका में कहा गया है कि पैंगोलिन ऐसा जानवर है जो जंगल में ही जीवित रह सकता है. उसे जू में रखने पर उसकी मौत हो जाती है. इस मामले में हाईकोर्ट में गुरुवार को याचिका लगी थी. लेकिन सुनवाई का समय नहीं होने की वजह से इसे सोमवार को सुनवाई के लिए रखा गया है.
WWI का मानना है कि जू में जिंदा नहीं रहते पैंगोलिन:याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने बताया कि "वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने अपने अध्यन में कहा है कि चींटी दीमक खाने की विशेष आदत के कारण और इनके सामाजिक और प्रजनन की समझ नहीं होने के कारण ये बंधक जीवन नहीं जी पाते. यह जानकारी होने के बावजूद वन विभाग और जंगल सफारी प्रबंधन ने अनुसूची-1 के तहत संरक्षित और आईसीयूएन की रेड बुक में संकटग्रस्त घोषित भारतीय पैंगोलिन को बंधक बना रखा है. पैंगोलिन को चींटी दीमक जुगाड़ कर यहां खिलाया जा रहा है.
जू अथॉरिटी की बात भी नहीं मान रहे अधिकारी:सिंघवी ने बताया कि केंद्रीय जू अथॉरिटी ने वर्ष 2021 में पैंगोलिन के पुनर्वास के लिए मार्गदर्शिका जारी कर रखी है. जिसके तहत जब्त पैंगोलिन को उसी जंगल के घने इलाके में छोड़ा जाना है जहां से उसे पकड़ा गया है. जहां रोड, रेल और मानव बस्ती ना हो.
प्रधान मुख्य वन संरक्षक को पूरे मामले की है जानकारी:सिंघवी ने बताया कि उन्होंने 6 मई को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को पत्र लिखकर बंधक पैंगोलिन को छोड़ने की मांग की थी और यह भी बताया कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत किसी भी अनुसूची एक के वन्य जीव को बिना उनके आदेश के बंधक नहीं बनाया जा सकता है. खुद उनके कार्यालय ने बताया है कि पैंगोलिन को बंधक बनाने का आदेश उन्होंने जारी नहीं किया है. इसके बावजूद भी प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं और ना ही बंधक पेंगोलिन को छोड़ रहे हैं.