बिलासपुर: कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए WHO ने एहतिहात के तौर पर कई सलाह दी है, जिनका पालन कर कोरोना संक्रमण से खुद को बचाया जा सकता है. इस गाइडलाइन में सार्वजनिक रूप से इधर-उधर थूकने की मनाही है. हालांकि, इसके बाद भी कुछ लोग गुटखा, पान, तंबाकू का सेवन कर इधर-उधर थूक रहे हैं. इससे कोरोना संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ रहा है. अब कुछ लोग गुटखा, खैनी, पान, पान मसाला की बिक्री पर रोक लगाने की बात भी कह रहे हैं.
गुटखा, खैनी, पान, पान मसाला की बिक्री पर रोक लगाने की मांग तंबाकू-गुटखा के व्यापारियों ने बताया कि कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण इन सामग्रियों पर प्रतिबंध लगाया गया था, तब भी जीवन सामान्य तौर पर चल रहा था. लोगों ने कुछ हद तक खुदको इन सब नशीले पदार्थों से दूर कर लिया था. जिससे उनका व्यापार प्रभावित हुआ था, लेकिन अब वे जनहित के इस मुद्दे पर चाहते हैं कि अभी सही समय है शासन-प्रशासन चाहे तो लोगों को ऐसी बुरी लत से दूर किया जा सकता है.
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'ऑर्गन पर असर'
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रमोद महाजन का कहना है कि नशे के सेवन करने से शरीर के जरूरी ऑर्गन सर्वाधिक प्रभावित होता है और फिर धीरे-धीरे कॉप्लिकेशन बढ़ते चले जाते हैं. इस तरह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है. अभी कोरोना के प्रकोप को देखते हुए यह और ज्यादा जरूरी हो जाता है कि लोग इन बुरी आदतों को खुद ही छोड़ दें. यह एक साथ मानसिक-शारीरिक-आर्थिक-पारिवारिक तमाम मोर्चा पर अपना दुष्प्रभाव डालता है.
'सरकार का दोहरा मापदंड है'
वरिष्ठ पत्रकार महेश तिवारी ने शासन-प्रशासन के मंसूबों पर ही सवाल खड़ा किया है. उनका कहना है कि संभवतः सरकारें चाहती ही नहीं, क्योंकि यह राजस्व उगाही का बड़ा माध्यम है. इस तरह लोग जब गंभीर रूप से बीमार होते हैं, तो सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं में भी बड़े पैमाने पर खर्च करती दिखती है. यह हर सरकार का दोहरा मापदंड है. यह सही समय है कि सरकारें जनहित में एक कठोर फैसला ले और लोगों तक नशे के सामग्रियों को पहुंचने ही न दे.
'सही समय है, लेना चाहिए फैसला'
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ एसके लाल बताते हैं कि कोरोना के कारण सर्वाधिक मरीज जो मौत के शिकार हुए हैं. वो पहले से ही गंभीर बीमारियों से ग्रसित रहे हैं और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम रही है. नशा सबसे ज्यादा हमें गंभीर बीमारियों की ओर धकेलता है. लिहाजा कोरोना काल ही एक राइट टाइम है, जब आमोखास के साथ-साथ जिम्मेदार कुछ निर्णय लें.
तंबाकू-गुटखा का शरीर पर असर
- तंबाकू में पाया जाने वाला कार्बन मोनोऑक्साइड और निकोटीन आपके मुंह के लिए कई प्रकार के नुकसान पैदा कर सकता है. इससे मुह के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
- तंबाकू से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इसमें मौजूद केमिकल दिल की दर बढ़ाने और पूरे शरीर में रक्त वाहिकाओं को कसकर हृदय रोग या स्ट्रोक का जोखिम को बढ़ा देता है
- तंबाकू में मौजूद निकोटीन महाधमनी को सख्त कर देता है. महाधमनी पूरे शरीर के लिए रक्त की आपूर्ति करती है. तंबाकू का उपयोग करने से सांस लेने में परेशानी होती है. खांसी के साथ कफ की समस्या होती है. तंबाकू फेफड़ों की बीमारी और फेफड़ों का कैंसर है.
- तंबाकू उत्पादों के सेवन से त्वचा खराब होती है. तंबाकू उत्पादों का सेवन झुर्रियों का कारण बनता है. सूखी और पीली त्वचा तंबाकू उपयोगकर्ताओं के बीच आम होती है.
- तंबाकू का इस्तेमाल, धूम्रपान पाचन तंत्र को खराब कर उच्च एसिड के उत्पादन को उत्तेजित करता है.
- तंबाकू उत्पादों के सेवन से बालों की गुणवत्ता खराब होती है. तंबाकू का प्रयोग आपके बालों को पतला और नाजुक बना सकता है.
तंबाकू छोड़ने के उपाय और शरीर में होने वाले बदलाव
- हर्बल चाय पीने से भी तम्बाकू सेवन की इच्छा में कमी आती है. कैमोमाइल और ब्राह्मी मिश्रित हर्बल-टी से काफी लाभ होता है.
- तंबाकू खाने या धूम्रपान करने की जब भी इच्छा हो तो सूखे अनानास के एक या दो टुकड़े को शहद के साथ चबाएं, इससे फायदा होगा
- शाकाहारी भोजन जरूरी है. साथ ही पानी भी खूब पीना चाहिए. ताजा खाद्य पदार्थ खाएं और इसलिए आहार को लेकर बेहद अनुशासित होने की जरुरत है.
- तंबाकू छोड़ने का आपने निश्चय कर लिया है तो कुछ वक्त तक शराब, चीनी और कॉफी से भी दूरी बनानी होगी. ये तीनों सिगरेट पीने की इच्छा को जागृत करते हैं.
- योगासन के साथ-साथ शारीरिक व्यायाम भी करते हैं तो यह आपके तनाव को कम करता है, साथ ही मददगार साबित होगा.
कोरोना की गंभीरता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि हमारे देश में ही मौत का आंकड़ा लगभग 50 हजार के आसपास पहुंच चुका है. बहरहाल अब जरूरी है कि हम स्वस्थ भारत की संकल्पना को नशे के लत से खुद को दूर करें. औरों के लिए न सही खुद को नशे से दूर रखें.