बिलासपुर:ईटीवी-भारत की टीम ने स्कूली छात्रों के मजदूरी कनेक्शन को जानने की कोशिश की तो समाज के ऐसे कई स्याह पक्ष उभर कर सामने आए जो वाकई एक सभ्य समाज के लिए चिंता का विषय है. हमने बिलासपुर शहर के गली-गली में ऐसे बच्चों से बातचीत की जो फिलहाल मेहनत-मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं.
शहर में सुबह सुबह अखबार बांटने का काम सबसे ज्यादा वो स्कूली बच्चे ही करते हैं, जिन्हें मजदूरी की कानूनी इजाजत बिल्कुल नहीं है. इन बच्चों से जब हमने बातचीत की तो उनका मार्मिक पक्ष सामने आया. कुछ बच्चे ने कहा कि वो घर में आर्थिक सहयोग करने के लिए ऐसा कर रहे हैं तो कुछ बच्चों ने कहा कि मजदूरी करने से उनका जरूरी खर्च निकल रहा है.
क्या कोरोनाकाल में बाल मजदूरी बढ़ी?
बाल श्रम की ऐसी तस्वीरें पहले भी दिखती थीं लेकिन कोरोनाकाल के कारण अब यह तस्वीर भयावह बनकर कुछ ज्यादा ही दिख रही है. बच्चों ने अपनी-अपनी लाचारी ईटीवी-भारत के सामने जगजाहिर किया. ज्यादातर बच्चों का कहना है कि कोरोना पीरियड में उनके अभिभावकों की नौकरी गई या फिर बेहद कम आमदनी में उन्हें गुजारा करना पड़ रहा था,लिहाजा वो मजबूरन बाहर काम कर रहे हैं. यदि कुछ भी नहीं तो वो अपने कॉपी-किताब की जरूरतों को ही बाहर काम करके पूरा कर लेते हैं.
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'सालों से अखबार बेचते हैं बाल मजदूर'
अखबार बांटनेवाले बच्चे जिन डिस्ट्रीब्यूटरों से अखबार लेकर बांटते हैं, उनसे जब हमारी बात हुई तो और भी कुछ बातें सामने आईं जो अपनेआप में दुःखद है. डिस्ट्रीब्यूटरों का कहना है कि बच्चों का काम करने का रुझान फिलहाल जरूर बढ़ गया है लेकिन बीते 3 दशक से ज्यादा समय से वो इस पेशे में लगे हैं और लगातार ये बच्चे उनसे जुड़कर मजबूरीवश ये काम करते हैं. सुबह के एक या दो घंटे के काम से उन्हें उनके परिवार को कुछ आर्थिक मदद मिल जाती है. एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि कई बच्चे उनसे जुड़कर अखबार बांटने का काम इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि वो अपनी कमाई से एंड्रॉयड फोन लेना चाहते हैं ताकि उनकी ऑनलाइन पढ़ाई बाधित ना हो.
फल-सब्जी भी बेच रहे बाल मजदूर
इतना ही नहीं हमें शहर में कुछ फल बेचनेवाले तो कुछ सब्जियां बेचनेवाले ऐसे मासूम बच्चे भी मिले जिन्होंने खुलकर वर्तमान में अपनी मजबूरी को स्वीकारा. कुछ बच्चों ने कहा कि उनके ऊपर उनके परिवार का बोझ है. कुछ बच्चों ने कहा कि वो एक पार्ट टाइम जॉब की तरह काम कर रहे हैं. हम स्कूली छात्रों के बीच भी पहुंचे तो क्लास के दौरान ही कुछ छात्रों की वेदना बाहर आ गई और उन बच्चों ने बाहर काम करने की मजबूरी को स्वीकारा.
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'मजदूरी की वजह से ऑनलाइन क्लास से नहीं जुड़ रहे'
इस मामले की तह तक जाने के लिए हमने शिक्षकों और स्कूल प्रशासन से भी बातचीत की. शिक्षकों ने भी इस बात को बखूबी स्वीकारा कि उन्हें भी उनके छात्रों से बाहर कामकाज करने के संकेत मिलते रहते हैं. कई बार ऑनलाइन कक्षा में ना जुड़ना भी बाहर कामकाज करने के कारण ही होता है.
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