बिलासपुर: जमीन विवाद को लेकर मरवाही थाना लाए गए भाजपा नेता चंद्रिका तिवारी की रतनपुर के पास मौत हो गई. मामले में परिजनों ने आरोप लगाया है कि थाने में पुलिस की पिटाई के कारण उनकी तबीयत बिगड़ने से मौत हुई है. जबकि पुलिस ने ऐसी किसी भी बात से इंकार कर दिया है.
मंगलवार सुबह चंद्रिका के परिजन और स्थानीय लोग शव को लेकर मरवाही थाने पहुंचे. परिजनों ने पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. आरोपी थानेदार पर कार्रवाई की मांग की जा रही है.
जमीन को लेकर हुआ विवाद
दरअसल बीते रविवार चंद्रिका तिवारी और उनके भाई पुष्पेंद्र तिवारी के बीच जमीनी विवाद हुआ. इसके बाद के पुलिस दोनों भाइयों के खिलाफ धारा 151 के तहत मामला दर्ज कर थाने ले आई. इस दौरान चंद्रिका तिवारी की तबीयत बिगड़ने लगी और उनके बेटे ने आनन-फानन में 112 में फोन कर दिया.
टीआई पर मारपीट के आरोप
इस बात से नाराज टीआई ने चंद्रिका और उनके पुत्र के साथ गाली-गलौज और पिटाई शुरू कर दी. पिटाई के दौरान मृतक का दांत टूट गया और उसके बेटे को भी चेहरे पर चोट आई हैं. अगले दिन सुबह चंद्रिका तिवारी और पुत्र दिनेश तिवारी को कार्यपालक दंडाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया गया.
चंद्रिका की तबीयत बिगड़ी
इस दौरान चंद्रिका की तबीयत बिगड़ने लगी और उन्हें तुरंत मरवाही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया. उनकी गंभीर हालत को देखते हुए डाक्टरों ने उन्हें बिलासपुर सिम्स रेफर कर दिया. बिलासपुर ले जाने के दौरान चंद्रिका ने दम तोड़ दिया.
परिजनों ने पुलिस पर लगाए आरोप
परिजनों ने आरोप लगाया है कि चंद्रिका तिवारी की मौत पुलिस द्वारा मारपीट की वजह से हुई है. हालांकि पुलिस इस आरोप से बचती नजर आ रही है. पुलिस का कहना है कि चंद्रिका और उनके बेटे के साथ किसी तरह की मारपीट नहीं की गई है.
बहरहाल पुलिस कस्टडी के दौरान बीजेपी नेता की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. मामले ने पुलिस प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.