Bilaspur High Court: चावल खरीदी धोखाधड़ी केस, हाईकोर्ट से महाराष्ट्र के व्यापारियों को राहत
Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ में करोड़ों रुपये के चावल खरीदी मामले में महाराष्ट्र के व्यापारियों को बिलासपुर हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है. बिलासपुर हाईकोर्ट ने माना है कि व्यापारियों की धोखधड़ी करने की मंशा नहीं थी. व्यापारियों ने पहले ही साढ़े 13 करोड़ में 9 करोड़ की राशि का भुगतान कर दिया है.
बिलासपुर:बिलासपुर हाईकोर्ट ने रायपुर में हुए करोड़ों रुपये के चावल खरीदी धोखाधड़ी मामले में महाराष्ट्र के व्यापारियों को बड़ी राहत दी है. बिलासपुर हाईकोर्ट ने व्यापारी पिता और बेटे पर हुए एफआईआर को रद्द कर दिया है. करोड़ों की चावल खरीदी कर रुपए का पूरा भुगतान नहीं करने पर महाराष्ट्र के अनिल कुमार मौर्या और उनके बेटे ऋषभ मौर्या के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी. तिल्दा थाने और रायपुर के पंडरी थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की कोर्ट ने FIR को खारिज करने का आदेश जारी किया है.
ये है पूरा मामला:अमित चावल उद्योग के मालिक राजेंद्र अग्रवाल ने तिल्दा में और भगवती इंटरप्राइजेज के संचालक प्रशांत शर्मा ने पंडरी थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. माल लेकर 4 करोड़ रुपए नहीं देने को लेकर शिकायत की गई थी. मामले में कोर्ट ने माना है कि पूरा केस अपराधिक प्रतीत नहीं होता है. इसलिए इन मामलों में दोनों थाना में किए गए एफआईआर को खारिज कर दिया गया.
तीन लोगों की हुई थी गिरफ्तारी:शिकायत में बताया गया था कि 20 जुलाई 2021 को महाराष्ट्र ठाणे के राइस एक्सपोर्टर किआ एग्रो इंडस्ट्रीज प्रा.लि. की ओर से चावल खरीदने का ऑर्डर मिला था. इस पर उन्होंने 1 नवंबर 2021 से 14 दिसंबर 2021 तक किआ एग्रो को 5996.80 टन चावल सप्लाई किया. चावल की कीमत साढ़े तेरह करोड़ रुपये थी. किआ एग्रो के संचालकों की ओर से 9,38,75,354- रूपये का भुगतान किया गया. जबकि शेष 4,14,78,034 रूपये का भुगतान नहीं किया गया. प्रशांत शर्मा और राजेन्द्र अग्रवाल की शिकायत पर पंडरी और तिल्दा थाने में अनिल कुमार मौर्या और ऋषभ मौर्या के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था. केस में पुलिस ने अनिल मौर्य और ऋषभ मौर्य के साथ मास्टर माइंड बताए जा रहे अनिल गोयल को भी गिरफ्तार कर लिया था.
एफआईआर रद्द कराने को लेकर दायर की गई थी याचिका:इस मामले में एफआईआर रद्द करने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की कोर्ट ने मामले में सुनवाई के दौरान दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ लगाए गए धोखाधड़ी के अपराध को गलत माना है. कोर्ट के अनुसार याचिकाकर्ताओं ने साढ़े तेरह करोड़ में से 9 करोड़ से ज्यादा का भुगतान कर दिया था. इससे साफ है कि उनकी मंशा धोखा देने की नहीं थी.