छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

शहीद रमेश कोरसा के बच्चे मां से पूछते हैं पापा कब आएंगे - story of bijapur police naxalite encounter

3 अप्रैल को बीजापुर के तर्रेम में नक्सलियों से लोहा लेते हुए डीआरजी जवान रमेश कोरसा भी शहीद हुए थे. परिवार पर अब दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. बरदेला स्थित शहीद के घर पर मातम पसरा हुआ है.

story-of-bijapur-police-naxalite-encounter-martyr-ramesh-korsa-family
बीजापुर में शहीद रमेश कोरसा का परिवार

By

Published : Apr 12, 2021, 9:59 PM IST

बीजापुर: 3 अप्रैल को बीजापुर के तर्रेम में नक्सलियों से लोहा लेते हुए डीआरजी जवान रमेश कोरसा भी शहीद हुए थे. परिवार पर अब दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. बरदेला स्थित शहीद के घर पर मातम पसरा हुआ है. शहीद के बच्चे दरवाजे पर टकटकी लगाए बैठे रहते हैं कि पापा कब आएंगे. वहीं शहीद की पत्नी को कुछ सूझ ही नहीं रहा है. वहीं जवान बेटे के खोने का दुख शहीद के बूढ़े माता-पिता की आंखों में देखा जा सकता है.

शहीद रमेश कोरसा के बच्चे मां से पूछते हैं पापा कब आएंगे

शहीद के परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

शहीद रमेश कोरसा अपने पीछे भरा-पूरा परिवार पीछे छोड़कर चले गए. शहीद की पत्नी, दो बच्चे, माता-पिता और अपने तीन भाइयों में सबसे छोटे थे. बेटी चित्रा जो चौथी कक्षा में पड़ती है. वहीं बेटा वेदांत जो करीब 2 वर्ष का है. शहीद रमेश कोरसा का विवाह 2012 में धनोरा की रहने वालीं ऊषा कोरसा से हुआ था. शहीद की पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है.उनकी जिंदगी थम सी गई है. शहीद रमेश कोरसा का मासूम बेटा मां से अभी भी कहता है कि पापा कब आएंगे. वहीं अब आगे के जीवन और बच्चों के भविष्य को लेकर शहीद की पत्नी काफी परेशान हैं.

शहीद रमेश कोरसा

बच्चों को IAS-IPS बनाना चाहते थे शहीद रमेश

शहीद रमेश कोरसा के भाई ने बताया कि भाई के जाने के बाद परिवार बिखर सा गया है. उन्होंने बताया कि भाई सपना था कि उनके बच्चे IAS-IPS बनें...लेकिन अब उनके सपनों को पूरा करने की जिम्मेदारी हम सभी के ऊपर आ गई है. उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

शहीद नारायण सोढ़ी के परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

3 अप्रैल को हुई थी नक्सलियों से मुठभेड़

3 अप्रैल को बीजापुर जिले के तर्रेम में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. नक्सलियों से कड़ा मुकाबला करते हुए जवानों ने 12 नक्सलियों को मार गिराया था. नक्सलियों से लोहा लेते हुए 22 जवान शहीद हो गए थे. वहीं 31 जवान घायल हुए. इस मुठभेड़ के दौरान नक्सलियों ने सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मनहास का अपहरण भी कर लिया गया था. जिन्हें बाद में मध्यस्थता के जरिए नक्सलियों के पास से रिहा कराया गया था.

ABOUT THE AUTHOR

...view details