बीजापुर: सुरक्षाबलों के जवान जहां एक ओर अपनी जान जोखिम में डालकर हर पल आवाम की सुरक्षा के लिए तैयार रहते हैं. दूसरी ओर वही जवान अपनी जिम्मेदारी बड़ी ही शिद्दत से निभाते हैं, वहीं वो मदद करने में भी पीछे नहीं हटते फिर जाहे वो गर्भवती महिला हो, घायल महिला नक्सली हो या फिर कोई बेजुबान.
जंगल में दर्द से कराह रहा था बेजुबान, 'देवतूत' बन आए जवानों ने बचाई जान - जख्मी चीतल
जहां जवान अपनी जिम्मेदारी बड़ी ही शिद्दत से निभाते हैं, वहीं वो मदद करने में भी पीछे नहीं हटते.वही जवानों ने जानवर के कराहने की आवाज सुनी, चीतल को उठाकर कैंप ले आए और उसका इलाज किया.
एक ऐसा ही नजारा बीजापुर के गंगालूर मार्ग पर मौजूद पामलवा में देखने को मिला जहां सीआरपीएफ के जवान एक घायल चीतल का इलाज करते दिखे. CRPF की 85वीं बटालियन के जवान सर्चिंग पर निकले थे, इस दौरान उन्होंने किसी जानवर के कराहने की आवाज सुनी. जवान फौरन उस जगह पर पहुंचे तो उन्होंने देखा की एक चीतल जख्मी हालत में दर्द से कराह रहा था.
जवान चीतल को उठाकर कैंप ले आए और उसका इलाज किया. इलाज के बाद जब चीतल पूरी तरह से ठीक हो गया तो जवानों ने उसे वन विभाग को सौंप दिया. अपनी इस दरियादिली से सुरक्षाबल के जवानों ने यह बता दिया कि उन्हें मुल्क का रक्षक क्यों कहा जाता है.