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तेंदूपत्ता भुगतान: अपनी मांग को लेकर जब सड़क पर उतरे आदिवासी, सरकार को बदलना पड़ा फैसला - मंत्री कवासी लखमा

बीजापुर में जब हजारों आदिवासी तीर-कमान, देवी-देवता और राशन के साथ आंदोलन के लिए निकल पड़े तो शासन को झुकना ही पड़ा. अब शासन ने हजारों तेंदूपत्ता संग्राहकों को कैश पेमेंट करने की घोषणा की है.

now tendu leaves will be paid in cash
अब कैश में मिलेगी तेंदूपत्ता भुगतान की राशि

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Published : Jun 30, 2020, 5:13 PM IST

बीजापुर: पिछले साल अपने नंदराज पर्वत को बचाने उतरे आदिवासी आज भी आपके जेहन में ताजा होंगे...ऐसी ही ये अलग तस्वीर आई बीजापुर से. यहां भी अपने हक के लिए देवी-देवताओं की डोली, तीर-धनुष से लैस आदिवासी, कई गांवों से हजारों की संख्या में निकले तो शासन और प्रशासन को घुटनों पर आना पड़ा. इनकी मांग थी कि तेंदुपत्ता बोनस का भुगतान नकद किया जाए और सरकार को ये मांग माननी पड़ी.

आदिवासियों को अब कैश में मिलेगी तेंदूपत्ता भुगतान की राशि

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नक्सल प्रभावित क्षेत्र सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर वनमंडल के तेंदूपत्ता संग्राहकों को संग्रहण की मजदूरी की राशि का नकद भुगतान करने की स्वीकृति दी है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने मंगलवार को सीएम बघेल को तेंदूपत्ता संग्राहकों को मजदूरी की राशि के नगद भुगतान के लिए पत्र लिखकर अनुरोध किया है. जिस पर उन्होंने स्वीकृति दी है. बीजापुर में करीब 2 हजार आदिवासियों ने कैश भुगतान की मांग को लेकर शासन और प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.

आदिवासियों को अब कैश में मिलेगी तेंदूपत्ता भुगतान की राशि

8 ग्राम पंचायतों के थे आदिवासी

तीर-कमान के साथ आंदोलन की राह पर आदिवासी

आदिवासी बीजापुर जिले के गंगालूर थाना क्षेत्र के चेरपाल, पालनार सहित 8 ग्राम पंचायतों के थे. जो जंगल में तेंदूपत्ता तोड़कर और दूसरे जंगली उपज बीन कर अपनी जिंदगी चलाते हैं. इनका आरोप है कि 2018 से इन्हें तेंदूपत्ता का बोनस ही नहीं मिला है. इसके अलावा तेंदूपत्ता संग्रहण की राशि भी बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है. लेकिन इन 8 गांवों के कई आदिवासियों के बैंक में खाते ही नहीं है. जिससे ये लोग भुगतान राशि से वंचित रह जा रहे हैं.

राशन के साथ आंदोलन के लिए निकले
देवी-देवताओं के साथ आदिवासी

पैदल ही विरोध करने निकल पड़े थे आदिवासी

शासन-प्रशासन की उपेक्षा से नाराज 2 हजार से ज्यादा आदिवासी लामबंद हो गए और तीर-कमान, राशन-पानी और देवी-देवता के साथ करीब 30 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर बीजापुर जिला मुख्यालय अनिश्चितकालीन धरने के लिए निकल पड़े. रविवार सुबह अपने-अपने गांवों से पैदल निकले ग्रामीण चेरपाल में इकट्ठे हुए और उसके बाद सोमवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे. जैसे ही ये खबर प्रशासन को लगी, सब अलर्ट हो गए, विधायक विक्रम शाह मंडावी भैरमगढ़ से बीजापुर के लिए रवाना हुए और ग्रामीणों की भीड़ के बीच पहुंचकर सभी से मुलाकात की. इस बीच आदिवासियों को नकद भुगतान का आश्वासन मिलता रहा.

गंगालूर में इकठ्ठे होने जाते आदिवासी

2 दिन के अंदर भुगतान का आश्वासन

आदिवासियों ने चेतावनी दी थी कि अगर 2 दिन के अंदर भुगतान नहीं हुआ तो वे वैसे ही लामबंद होंगे, जैसे आज हुए. हालांकि सरकार ने आदेश जारी कर दिया है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थित सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर वनमण्डल के तेंदूपत्ता संग्राहकों को तेंदूपत्ता संग्रहण के पारिश्रमिक की राशि का नकद भुगतान किया जाएगा.

तीर कमान के साथ आदिवासी

गांव से करीब 80 किलोमीटर दूर है बैंक

मंत्री कवासी लखमा ने भी मुख्यमंत्री बघेल को तेन्दूपत्ता संग्राहकों को पारिश्रमिक की राशि के नकद भुगतान के लिए पत्र लिखकर अनुरोध किया. साथ ही उनकी समस्याएं भी बताईं. लखमा ने लिखा कि संग्राहकों के पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक खाता नहीं होने के कारण बैंक के माध्यम से भुगतान में काफी दिक्कत होती है. एक तो यह क्षेत्र संवेदनशील है और अंदरूनी गांवों से बैंक की दूरी 70 से 80 किलोमीटर तक है.

तीर-कमान के साथ आंदोलन की राह पर आदिवासी

अपनी संस्कृति को सहेजने वाले, भोलेभाले आदिवासी जब भी अपने हक के लिए उतरे हैं, हुक्मरानों को या तो फैसले पर विचार करना पड़ा है या फिर मांगों पर स्वीकृति देनी पड़ी है.

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