बीजापुर एनकाउंटर: अब तक जवानों की 'बूझ' से बाहर था ये जंगल, इस बार भेद दिया - bijapur news
बीजापुर: अबूझमाड़, एक ऐसा इलाका जिसे अब तक बूझा नहीं जा सका है ये वो इलाका है जिसे नक्सलियों का अभेद्य किला माना जाता रहा है, लेकिन 7 फरवरी को अबूझमाड़ के ताड़बल्ला गांव के पास घने जंगलों में सुरक्षा बल के जवानों ने नक्सलियों के कैंप में घुसकर ऑपरेशन चलाया.
जवानों की आहट नहीं भांप पाए नक्सली
जवान ताड़बल्ला के पड़ाव में बसे गांवों से न होकर इंद्रावती नदी को पार कर पहाड़ी और जंगली रास्ते से आगे बढ़े. नक्सली पश्चिम दिशा से खामोशी से आगे बढ़ रहे जवानों की आहट भांप पाते इससे पहले ही जवानों ने नक्सली कैंप पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी.
शव बरामद, हथियार भी मिले
ऑपरेशन के बाद सर्चिंग के दौरान जवानों को मौके से 10 वर्दीधारी नक्सलियों के शव मिले हैं. साथ ही बड़ी मात्रा में हथियार और दैनिक उपयोगी सामान भी मिला है. हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि मुठभेड़ में मारे गए लोग ग्रामीण थे, जिन्हें नक्सलियों ने खेल सिखाने के लिए बुलाया था.
हाका ऑपरेशन में नहीं मिली थी सफलता
साल 2011 में ऑपरेशन हाका के बाद दो साल पहले भी अबूझमाड़ इलाके में बीजापुर पुलिस ने ऑपरेशन चलाया था, लेकिन इसमें कोई बड़ी कामयाबी हासिल नहीं हुई थी. इस बार चलाए गए ऑपरेशन के बाद अधिकारियों का दावा है कि इस मुठभेड़ में जवानों ने नक्सलियों को मार गिराया है.
ऑपरेशन पर खड़े हुए सवाल
कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद अबूझमाड़ में चलाए गए इस ऑपरेशन पर जहां एक ओर ग्रामीणों ने सवाल खड़े किए हैं वहीं सरकार और सुरक्षा बल के आला अधिकारी इसे नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ बता रहे हैं. सच क्या है यो तो नहीं पता, लेकिन इस ऑपरेशन के बाद ये साफ हो गया है कि अब अबूझमाड़ जवानों के लिए अबूझ नहीं रह गया है.