महासमुंद: सिस्टम की लापरवाही और लाल फीताशाही किसी गरीब की जिंदगी में दुख और मुसीबत का पहाड़ ला सकती है. इसका मंजर महासमुंद के पिथौरागढ़ के लाखागढ़ में देखने को मिला. यहां रहने वाली राधाबाई बागवानी सरकारी बाबुओं की गलतियों की वजह से दर-दर की ठोकरें खाने तो मजबूर हैं.
सरकारी सिस्टम की लापरवाही का खामियाजा भुगत रही राधाबाई, चक्कर लगाने को हैं मजबूर दरअसल, राधाबाई के नाम प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक आवास स्वीकृत हुआ था. इसकी पहली किश्त के तौर पर 35000 रुपये भी उसके बैंक खाते में डाल दिए गए. पहली किश्त की रकम मिलने पर राधाबाई ने भी यह सोचकर मकान को तोड़कर नए मकान का निर्माण शुरू कर दिया कि, जब पहली किश्त आ गई है, तो बाकी भी आ ही जाएगी और यही उसकी सबसे बड़ी भूल साबित हुई,
पहली किश्त मिलने के बाद राधाबाई के अकाउंट में दूसरी किश्त के नाम पर कुछ भी रकम क्रेडिट नहीं हुई. पहले तो उसने बैंक में जाकर फरियाद की, लेकिन जब वहां हल नहीं निकला, तो राधाबाई ने सरकारी तफ्तरों में दरख्वास्त दी, लेकिन वहां भी उसे गोलमोल जवाब मिला. इंसाफ न मिलता देख दुखियारी महिला ने जिलाधीश से शिकायत कर अपने लिए इंसाफ मांगा है. वहीं कलेक्टर महोदय अकाउंट में गड़बड़ी का हवाला देते हुए जल्द समाधान करने की बात कह रहे हैं.
बता दें कि राधाबाई के पति की मौत साल 2014 में हो गई थी और वो टूटे-फूटे मकान में अपने दो बच्चों समेत रहने के साथ ही मजदूरी कर अपना और परिवार के पेट पालती हैं.
एक तो पहले से ही नीयति ने इसे दुखों के चंगुल में डाल रखा था, जैसे-तैसे वो अपने परिवार का पेट पाल रही थी, ऐसे में सिस्टम के सितम ने इस दुखियारिन को सिर छिपाने के लिए हाथ फैलाने को मजबूर कर दिया है.