बेमेतरा:छत्तीसगढ़ में ठंड ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. बढ़ती ठंड के कारण आवागमन को प्रभावित हुआ है. वहीं किसानों को भी अब उनके फसलों की चिंता सताने लगी है. जिले में लगातार बदल रहे मौसम का असर अब चने की फसल पर नजर आ रहा है. बदलते मौसम में किसानों ने रबी फसल चना की बुवाई की है, लेकिन अब फसलों पर उकठा रोग का प्रकोप शुरू हो गया है. जिससे चना के पौधे सुख रहे हैं. फसलों को हो रहे नुकसान से किसान परेशान हैं.
बेमेतरा जिला उन्हारी फसल के बंपर उत्पादन के लिए पूरे प्रदेश में विख्यात है, लेकिन विगत 3 साल से ऐसा देखा जा रहा है कि उन्हारी की मुख्य चना की फसल में उकठा रोग का शिकार हो रहे हैं. चने के साथ ही मसूर की फसल में भी उकठा रोग लग चुका है. चना की बुआई के बाद अब उकठा रोग के बढ़ते प्रभाव से किसान परेशान हैं. कृषि विभाग के उपसंचालक एमडी मानकर ने इससे बचाव के लिये सुझाव दिए हैं.
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उकठा रोग से बचाव के तरीके
- चने की फसल के लिए फसल चक्र का प्रयोग करें.
- लगातार एक ही खेत में चना लगाने से बचें.
- ट्राइकोड्रर्मा पाउडर 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करें.
- चार किलोग्राम ट्राइकोड्रर्माको 100 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर बुआई से पहले प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में मिलाएं.
- खड़ी फसल में रोग के लक्षण दिखाई देने पर कॉर्बेन्डाजिम 50 डब्लयू पी 0.2 प्रतिशत घोल का पौधो के जड़ क्षेत्र में छिड़काव करें.
- उकठा रोग से प्रभावित रहने वाले खेतों में 4 से 5 साल के अंतराल पर ही चने की बुआई करें.
- प्रभावित पौधों को जला दें और ऐसे खेतों की गर्मियों में गहरी जुताई करें.