बेमेतरा : बाल विवाह एक कुप्रथा है, जिसे आज के दौर में अपनाया भी नहीं जाता है, लेकिन ऐसी कुछ जगह हैं, जहां आज भी बाल विवाह जैसी प्रथा को बढ़ावा दिया जाता है. इसी प्रथा को रोकने के लिए प्रशासन ने अपनी कमर कस ली है.
रामनवमी और अक्षय तृतीया को विवाह का शुभ मुहूर्त मना जाता है, जिसमें बाल विवाह को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर महादेव कावरे ने जिले के पुलिस, पटवारी, कोतवाल शिक्षक और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को बाल विवाह पर नजर रखने निर्देश दिए हैं.
ग्रामीण अंचलों में भी बाल विवाह को लेकर कोतवाल, पटवारी, शिक्षक और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के अलावा महिला स्व सहायता समूह को भी दायित्व सौंपा गया है. साथ ही जिले में 12 विभाग प्रमुखों को जिले में बाल विवाह की रोकथाम को प्रभावी करने के लिए प्रशासन ने सक्रियता दिखाई है.
आंकड़ों पर नजर डाले, तो जिले में 4 साल में 36 बाल विवाह प्रशासन ने रोकने में सफलता हासिल की है, जिस पर 2015 -16 में 9 मामले आए थे. आंकड़ों के अनुसार साल 2016- 17 में 12 मामले, साल 2017-18 में 11 मामले और साल 18 -19 में अब तक 4 मामले में संयुक्त टीम ने विवाह रोके हैं, जो अपने आप में एक अच्छी पहल है.
कलेक्टर महादेव कावरे ने बताया कि विभागों को पत्र लिखकर रामनवमी और अक्षय तृतीया में होने वाले विवाहों में नजर रखने का निर्देशित किया गया.