बेमेतरा:होली का त्योहार नजदीक आ रहा है. इसे देखते हुए जिले में होली के लिए हर्बल गुलाल बनाने की तैयारी शुरू हो गई है. कृषि विज्ञान केंद्र हर्बल गुलाल बनाने के लिए विभिन्न स्वसहायता महिला समूहों को निःशुल्क प्रशिक्षण दे रही है. महिला स्वसहायता समूह की महिलाओं ने हर्बल गुलाल तैयार कर होली को सुरक्षित और खुशहाल बनाने की तैयारियां शुरू कर दी है. कृषि विज्ञान केंद्र बेमेतरा के प्रमुख डाॅक्टर जीपी आयम के मार्गदर्शन में महिलाओं ने हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया है.
हर्बल गुलाल के फायदे
रंग-गुलाल से होली के त्योहार को मनाया जाता है. आजकल रंगों को रासायनिक सामग्रियों से बनाया जाता है, जिससे त्वचा में एलर्जी, आंखों में इन्फेक्शन, दमा, अस्थमा, खुजली जैसी कई तरह की बीमारियां होती हैं. इन सभी बीमारियों से बचाव के लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने प्राकृतिक पदार्थों का उपयोग कर हर्बल गुलाल बनाने की विधि तैयार की है.
हर्बल होली: फूल पत्ती, सब्जी-भाजी और फल से बने रंग से रंगीन हुआ बाजार
हल्दी, पालक, पलाश के फूल और चुकन्दर से हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. झालम गांव में आदिवासी महिला स्वसहायता समूह और सरस्वती स्वसहायता समूह को गुलाल बनाना सिखाया गया, साथ ही जेवरा गांव की 3 महिला स्वसहायता समूह को हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है.