बालोद: पखवाड़े भर से बारिश की एक बूंद भी नहीं गिरने से जिले के सबसे बड़े जलाशय तांदुला में केवल 15 फीट ही पानी रह गया है. इससे किसान और जिला प्रशासन दोनों के माथे पर चिंता की लकीरे हैं. वर्तमान में जलाशय की रौनक पूरी तरह से खत्म होने की कगार पर है.
सूखने की कगार पर है छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा तांदुला जलाशय
पखवाड़े भर से बारिश नहीं होने से जलाशय खुद प्यासे हैं. अगर बारिश नहीं हुई तो सूखा तो पड़ेगा ही पेयजल एवं निस्तारी की समस्या भी गहरा जाएगी. बालोद जिले का सबसे बड़ा और प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा जलाशय तांदुला जुलाई में ही पानी के लिए तरस रहा है.
मौजूदा जलस्तर को देखते हुए फसलों की सिंचाई के लिए पानी देने के बारे में भी सोचा नहीं जा सकता, तो कृषि का अंदाजा लगाया जा सकता है. अगर कुछ दिनों में बारिश नहीं हुई, तो कृषि के लिए जलाशय से पानी नहीं मिलेगा और फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी.
पेयजल के लिए चाहिए 33 फीट पानी
जल संसाधन विभाग के अनुसार पेयजल के लिए 33 फीट पानी जरूरी है, लेकिन 33 फीट से भी आधा पानी यहां रह गया है. बारिश नहीं होने से उमस और गर्मी तेजी से बढ़ रही है, जिससे जलाशय का जलस्तर कम होते चला जा रहा है. भविष्य में पेयजल की भी समस्या आ सकती है. विभाग ने बताया कि गत दिनों जो बारिश हुई थी, उससे महज 1 फीट जलस्तर का इज़ाफा हुआ था. वर्तमान में तांदुला जलाशय की स्थिति चिंताजनक है.
एक नजर तांदुला जलाशय पर
तांदुला जलाशय से दुर्ग और बेमेतरा जिले में पानी की सप्लाई होती है. इसका निर्माण सन् 1912 में अंग्रेजों ने कराया था. यहां 38.15 फीट जलभराव की क्षमता है. वर्तमान में 15 फीट की स्थिति में जलस्तर मौजूद है. जलाशय से 23001 हेक्टेयर कृषि जमीन की सिंचाई होती है. इसके साथ ही कुछ माह निस्तारित तालाबों को भरने के लिए भी पानी दिया जाता है. वहीं ग्रीष्मकालीन फसलों को पकाने के लिए भी खेतों को भरपूर पानी दिया गया था.
किसानों की बढ़ी चिंता
बारिश नहीं होने से खेत सूखने की कगार पर हैं. खेतों में दरारें पड़ गई हैं. एक-एक बूंद पानी के लिए फसल तरस रही है. इससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरे दिख रही हैं.