बालोद :लाटाबोड़ के रहने वाले डोमार सिंह कुंवर पूरे दुनिया में प्रसिद्ध हैं. 12 साल की उम्र से ही डोमार सिंह ने नाचा के प्रति अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया. जिसका परिणाम आज सभी के सामने हैं. नाचा नृत्य की कला को डोमार ने छत्तीसगढ़ से बाहर निकालकर विदेश तक पहुंचाया.डोमार सिंह को इस कठिन तपस्या के लिए पद्मश्री से नवाजा गया है. जिससे छत्तीसगढ़ियों का मान और सम्मान दोनों ही बढ़ा है. डोमार सिंह ने पद्मश्री लेने के बाद छत्तीसगढ़ महतारी को इसके लिए शुक्रिया कहा.
नाचा के लिए तपस्या :डोमार सिंह जब 12 साल के थे,उस समय से ही वो नाचा से जुड़े. उन्होंने कभी ये नहीं सोचा था कि उनकी मेहतन सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री दिलाएगी. जब राष्ट्रपति के हाथों उन्हें सम्मान मिला तो आंखें नम हो गई. आंखों में खुशी के आंसू थे .वहीं दूसरी तरफ पूरा परिवार और समाज जश्न मना रहा था. पद्मश्री मिलने के बाद डोमार सिंह ने कहा कि '' उनकी 48 साल की मेहनत सफल हुई. अब तक लगभग 5200 मंचों में नाचा की प्रस्तुति देकर लोगों को नाचा विधा के बारे में बताने का प्रयास किया .आज इसे पुनः राष्ट्र स्तर पर पहचान मिली है.''