Balod Marar Ganpati: बालोद के मरार में 100 सालों से विराजमान है स्वयंभू गणपति, धरती को फाड़कर निकले थे बप्पा, हर साल बढ़ता है आकार - बालोद के मरार गणपति बाबा की महिमा
Balod Marar Ganpati: बालोद के मरार में 100 सालों से स्वयंभू गणपति विराजमान हैं. यहां धरती को फाड़कर गणपति बप्पा प्रकट हुए थे. कहा जाता है कि हर साल गणपति की प्रतिमा बढ़ती रहती है. कभी-कभी मूर्ति के आसपास की जमीन पर दरार भी देखी जाती है. लोगों की मानें तो अभी भी मूर्ति का अधिकांश हिस्सा धरती में धंसा हुआ है.
बालोद: आज गणेश पूजा है. इस मौके पर हम आपको छत्तीसगढ़ के एक खास गणेश मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ के बालोद में भगवान गणेश का एक ऐसा मंदिर हैं, जहां पूजा करने मात्र से नि:संतान लोगों को संतान की प्राप्ति होती है. ये मंदिर बालोद के मरार में स्थित है. स्वयंभू गणेश मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां आने वाले लोगों की हर मुराद पूरी होती है. खासकर निःसंतान दंपत्ति को संतान की प्राप्ति होती है.
100 साल पुराना है ये मंदिर:बालोद स्थित गणपति मंदिर का इतिहास 100 साल पुराना है. कहा जाता है कि यहां जमीन को फोड़कर भगवान गणेश प्रकट हुए थे. तब से लगातार मंदिर में स्थित गणपति की मूर्ति की लंबाई बढ़ती जा रही है. यही कारण है कि इस मंदिर का सेट भी पहले से ऊंचा बनाया जाता है. कभी-कभी तो जमीन में दरारें पड़ती है, जब गणपति की मूर्ति बढ़ने लगती है.
बाफना परिवार के सपने में आए थे बप्पा:मंदिर के सदस्य और पार्षद सुनील जैन ने ईटीवी भारत को बताया कि, "जिला मुख्यालय के मरारापारा में लगभग 100 साल पहले जमीन के भीतर से भगवान गणेश प्रगट हुए थे. सबसे पहले सुल्तानमल बाफना और भोमराज श्रीमाल की नजर पड़ी. पहले बाफना परिवार के एक सदस्य के सपने में बप्पा आए थे, जिसके बाद दोनों व्यक्तियों ने स्वयं-भू गणपति के चारों ओर टीन शेड लगाकर एक छोटा-सा मंदिर बनाया था. इसके बाद लोगों की आस्था बढ़ती गई और मंदिर का विस्तार होता गया. दोनों के निधन के बाद से उनका परिवार और मोरिया मंडल परिवार इस मंदिर में पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं."
एक छप्पर से बप्पा के मंदिर की शुरुआत हुई थी और आज मंदिर को लेकर आस्था और चमत्कार सभी तरफ विख्यात हैं.-राजेश मंत्री, सदस्य, मंदिर समिति
अब भी जमीन पर के अंदर है मूर्ति का कुछ भाग: स्वयं-भू श्री गणेश के घुटने तक का कुछ हिस्सा अभी भी जमीन के भीतर है. लोगों का कहना है कि यहां गणपति का आकार बढ़ता रहता है. गणपति का आकार लगातार बढ़ता देख भक्तों ने यहां पर मंदिर बनाया है. मंदिर में दूरदराज के लोग भी अपनी मनोकामना लेकर आते हैं. कहा जाता है कि जो भी यहां सच्चे मन से मुरादे मांगता है, उसकी इच्छा पूरी होती है.