बलरामपुर:नवरात्र के 9 दिन कलश के साथ ही मां दुर्गा की प्रतिमा रख कर लोग शक्ति की उपासना करते हैं. नवरात्र पर्व को लेकर दो महीने पहले से मूर्तिकार मूर्तियां बनाना शुरू कर देते हैं. कारीगर के लिए यह सालभर की कमाई का एकमात्र जरिया होता है, लेकिन जिले के मूर्तिकार इस साल मूर्ति नहीं बिकने के कारण परेशान हैं.
कोरोना से फीका पड़ा दुर्गा उत्सव 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है. इसमें भक्त मां दुर्गा की आराधना करते हैं और बड़ी संख्या में मां दुर्गा की प्रतिमा भी स्थापित की जाती है. पिछले साल समान्य दौर में इस वक्त तक मूर्तियों का बिकनी शुरू हो गई थी, लेकिन इस साल अबतक ऑर्डर भी नहीं मिला है. ऐसे में मूर्तिकार चिंतित हैं.
प्रशासन की गाइडलाइन ने घटाई मांग
लगातार बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए प्रशासन की ओर से मूर्ति स्थापना को लेकर सख्त गाइडलाइन जारी किया गया है. प्रशासन की ओर से मूर्ति की ऊंचाई से लेकर पंडाल के आकार तक निर्धारित कर दिया गया है. गाइडलाइन के अनुसार ही दुर्गा प्रतिमाएं स्थापित की जानी है. आदेश में आयोजकों पर भी शर्तों को लागू किया गया है. भारत सरकार की ओर से भी दिए गए दिशा-निर्देशों का भी पालन करना होगा. ऐसे में मूर्ति की मांग घट गई है. इसका सीधा असर मूर्तिकारों के रोजगार पर पड़ा है.
पढ़ें:आर्थिक संकट में मूर्तिकारों का जीवन, कोरोना को लेकर नवरात्र की गाइडलाइन का कर रहे विरोध
मूर्तिकारों ने बताया कि शासन की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के हिसाब से ही तीन से साढे तीन फीट की मूर्तियां बनाई जा रही है, लेकिन ऑर्डर काफी कम है. उन्हें खाली बैठना पड रहा है. दूसरा काम ढूंढना पड रहा है. उन्होने कहा की पिछले साल मूर्तियां बनाने के लिए उनके पास इतना काम था कि वो काम नहीं कर पा रहे थे, लेकिन इस साल कोरोना वायरस संक्रमण के कारण उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है.