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बलरामपुर : 4 साल से मजदूरी के लिए भटक रहे मनरेगा मजदूर, पलायन के अलावा नहीं कोई रास्ता

बलरामपुर के कुसमी विकासखंड के कुटकु पारा के मजदूर मजदूरी के लिए भटक रहे हैं. मजदूरों का आरोप है कि उन्होंने मनरेगा के तहत 2016 - 17 में काम किया था, जिसकी मजदूरी उन्हें आजतक नहीं मिली.

मनरेगा के मजदूर
मनरेगा के मजदूर

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Published : Nov 28, 2020, 5:54 PM IST

बलरामपुर : जिले में मनरेगा के तहत हुए काम में मजदूरों को मजदूरी नहीं मिलने से अब पलायन करने को मजबूर हैं. छत्तीसगढ़ सरकार लगातार मनरेगा के तहत होने वाले काम को बढ़ावा दे रही है, ताकि किसी भी मजदूर को दूसरे प्रदेश पलायन न करना पड़े, लेकिन मजदूर अपनी मजदूरी के लिए सरपंच सचिव से गुहार लगा रहे हैं. पूरा मामला कुसमी विकासखंड के कुटकु पारा का है. 2016-17 में रोजगार गारंटी के तहत डबरी समतलीकरण का काम कराया गया. इसमें 50 से 60 मजदूरों ने मजदूरी की. लेकिन आज भी वे अपनी मजदूरी के लिए भटक रहे हैं.

मजदूरी के लिए भटक रहे मनरेगा के मजदूर
ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के सचिव मजदूरी के लिए नहीं जाने पर उन्हें डराया धमकाया करते था. साथ ही राशन कार्ड से नाम काटने की भी बात कहते थे. डर के कारण मजदूरों ने मनरेगा के तहत काम तो किया लेकिन उन्हें मजदूरी आधी मिली. जब मजदूरों ने इसकी शिकायत सचिव से की तो सचिव का कहना था कि 'जितना काम किया है उतना पैसा मिल गया है अब नहीं मिलेगा'.

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सचिव पर कई आरोप

रघुनंदन यादव ने बताया कि, 'हमारे घर के लोग रोजगार गारंटी के तहत डबरी में काम करने गए थे, लेकिन अब तक मजदूरी भुगतान नहीं हुआ है. उनका आरोप ये भी था कि सचिव की जो नजदीकी हैं उन्हें रात में जाकर पैसा दिया जाता था, लेकिन इनकी मजदूरी नहीं दी गई. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने इसकी शिकायत जिला कलेक्टर से की. लेकिन आश्वासन ही मिला, मजदूरी नहीं मिली.

सचिव पर कार्रवाई का आश्वासन

जिला पंचायत के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी का कहना है कि 2 दिन के अंदर जांच की जाएगी और मजदूरों का भुगतान भी किया जाएगा. साथ ही उचित कार्रवाई भी की जाएगी.

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