बलरामपुर: मई की चिलचिलाती धूप में पसीना बहाने मजदूरों को विश्व मजदूर दिवस से कोई सरोकार नहीं है. एक ओर जहां सरकार मजदूरों के लिए ढेरों योजनाएं चला रही है, वहीं दूसरी ओर श्रमिक इससे अनजान हैं.
मजदूरों को नहीं मिला योजनाओं का फायदा
सरकारी योजनाओं का नहीं मिल रहा फायदा
इन मजदूरों को शासन से मिलने वाली योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. बलरामपुर जिले में करीब 40 हजार 393 संगठित मजदूर पंजीकृत हैं और सन्निर्माण कर्मकार योजना के तहत असंगठित मजदूरों में 53 प्रकार के काम करने वाले 21 हजार 804 मजदूरों का पंजीयन श्रम विभाग में हुआ है, लेकिन 62 हजार 197 मजदूरों में से केवल 26 हजार 624 मजदूरों को ही सायकिल निर्माण के औजार के साथ-साथ दूसरी सहायता दी गई है.
नहीं पता क्या होता है मजदूर दिवस
प्रदेश के 35 हजार 573 मजदूरों को शासकीय योजनाओं का कोई लाभ नहीं मिल पाया है. मजदूरी करने वाले अधिकांश मजदूरों को मजदूर दिवस की जानकारी तक नहीं है. इस दिन भी वो मजदूरी कर अपना पेट पाल रहे है और शासन की किसी भी योजना का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा है.
'जिले में नहीं है एक भी बाल आश्रम'
बालश्रम कल्याण के अधिकारी का कहना है कि 'जिले में 62 हजार 197 मजदूरों को पंजीकृत किया गया है और समय-समय पर शासन की योजनाओं का फायदा दिया जाता है'. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि 'बालश्रम के अनुसार 18 उलंघन प्रकरण दर्ज किए गए है, लेकिन जिले में एक भी बाल आश्रम नहीं है'.
आम दिन की तरह ही गुजरा ये खास दिन
बहरहाल जिले में रोजाना हजारों की संख्या में मजदूर अपना पसीना बहाते हुए रोजी के जरिए रोटी कमा रहे हैं, लेकिन किसी को भी सरकार की ओर से महती योजना और अन्य सुविधा के बारे में जानकारी नहीं है. विश्व मजदूर दिवस भी इन मजदूरों के लिए आम दिनों की तरह ही गुजरा.