गौरतलब है कि जिले में पिछले 22 सालों से भवन के अभाव से गौशाला में स्कूल लगाया जा रहा है. यहां नौनिहाल पढ़ने तो आते हैं लेकिन स्कूल की स्थिति देख कर कोई भी कहने को मजबूर हो जाएगा कि आखिर बच्चे यहां बैठकर कैसे पढ़ लेते हैं.
ज्यादातर बच्चे पहाड़ी कोरवा के
इस स्कूल में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे पहाड़ी कोरवा के हैं. यहां दो शिक्षकों की पोस्टिंग है. उन्होंने कई बार अधिकारियों को इसकी जानकारी दी. लेकिन आज तक कोई अधिकारी इसे देखने नहीं पहुंचे. इस वजह से शिक्षकों को स्कूल का संचालन करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
शिक्षकों ने नहीं लिया जर्जर भवन का हैंड ओवर
शिक्षकों ने बताया कि साल 2013 में यहां एक स्कूल भवन का निर्माण किया गया था लेकिन उसकी दीवारें धंस गई हैं. स्कूल भवन जर्जर होने की वजह से शिक्षक उसमें स्कूल नहीं लगाते हैं. गांव में पढ़ाई का और कोई दूसरा विकल्प मौजूद नहीं होने के कारण बच्चों के परिजन मजबूरी में बच्चों को गौशाला में लगने वाले स्कूल में भेजते हैं.
कलेक्टर ने दिया आश्वासन
वहीं इस मामले में जब कलेक्टर संजीव से बात की गई तो उन्होंने गौशाला में पाठशाला लगाए जाने वाली बात को नकारा और कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शिक्षक अपने निजी भवनों में क्लास लगा रहे हैं. आगे संजीव ने जांच कर तत्काल इस पर कार्रवाई करने की बात कही है.
प्रदेश में पिछले 15 सालों में अनगिनत स्कूलों के निर्माण हुए हैं. लेकिन आज भी कई ऐसे स्कूल हैं जो भवन के लिए तरस रहे हैं. स्थिति ऐसी है कि शिक्षक गौशाला में स्कूल लगाने को मजबूर हैं.