सरगुजा: देश की आजादी के सात दशकों में जो नहीं हो सका, उसकी परिकल्पना छत्तीसगढ़ के कांग्रेस सरकार के इस बजट में की जा रही है. ग्रामीण अंचल के विकास के लिए जिस तरह से सरकार ने बजट का पिटारा खोला है, अगर वाकई उसे अमलीजामा पहनाने में अधिकारी और जनप्रतिनिधि कामयाब हो गए, तो छत्तीसगढ़ के गांवों की सूरत बदल जाएगी, लेकिन गांव और यहां रहने वाले ग्रामीणों की सुरत तब बदलेगी जब महकमे की सीरत दुरुस्त रहे.
प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अपना दूसरा बजट पेश किया और बजट में ग्रामीण विकास के लिए कई प्रावधान किए गए हैं, जिसे देखकर यही लगता है कि छत्तीसगढ़ के गांवों में अच्छे दिन आने वाले हैं, लेकिन अच्छे दिन आएंगे या नहीं ये तो बजट की घोषणाओं को जमीन पर उतारने के तरीके से ही स्पष्ट हो सकेगा.
ग्रामीण अंचल के विकास के लिए बजट में प्रावधान
⦁ पंचायतों को दी जाने वाली राशि में एक प्रतिशत की वृद्धि जिसे 8 प्रतिशत से बढ़ाकर 9 प्रतिशत कर दिया गया है.
⦁ 704 नई ग्राम पंचायतों का गठन.
⦁ मनरेगा मजदूरी, पेंशन सहित अन्य बैंकिंग सुविधाओं को ग्रामीणों तक पहुंचाने के लिए 4 सौ करोड़ रुपये दिए जाएंगे.
⦁ बैंक सखी की सोंच को अब विस्तृत रूप दिया जा सकेगा.
⦁ इसके साथ ही ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास के लिए 1 हजार 600 करोड़.