सरगुजा: राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता रद्द करने और आवास खाली कराने के मामले को लेकर पूरे देश में कांग्रेस कार्यकर्ता आक्रोशित हैं. जगह-जगह कांग्रेस केंद्र की मोदी सरकार का विरोध कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने पर कहा कि "राहुलजी की सदस्यता रद्द करने की जल्दी क्यों थी? क्या भाजपा राहुल गांधी से डर रही है? सिंहदेव ने संसदीय सदस्यता खत्म करने के मामले में केंद्र सरकार को अलोकतांत्रिक करार दिया है.
24 घंटे में ही घर खाली करने का नोटिस:सिंहदेव ने कहा कि "भाजपा ये सब इसलिए कर रही है क्योंकि भाजपा राहुल गांधी से डरती है. इसलिए उन्हें डिस्क्वॉलिफाई करने के 24 घंटे के अंदर ही घर खाली करने का नोटिस भी जारी कर दिया. वो तो घर खाली करते ही. लेकिन इतनी जल्दी इन्हें क्यों थी. जब कोर्ट ने अपने ही फैसले को एक महीने के लिए सस्पेंड कर दिया है तो फिर लोकसभा सचिवालय को भी इतनी क्या जल्दी थी. अगले ही दिन राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कर दी गई. प्रधानमंत्री रात में स्पीकर से मुलाकात करते है. सुबह यह सूचना आती है कि राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त कर दी गई है."
पहली बार आया ऐसा मामला: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, "मेरी जानकारी में रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट के तहत यह पहला मामला है, जिसमें मानहानि के केस में सर्वाधिक दो वर्ष की सजा सुनाई गई है. इसमें भी तेजी दिखाई गई. जबकि लाखों मामले में सुनवाई सालों नहीं होती. राहुल गांधी ने 13 फरवरी 2019 को कर्नाटक में चुनावी भाषण दिया था. इस भाषण के बाद गुजरात के सूरत में बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज कराई. फिर 7 मार्च 2022 को शिकायतकर्ता ने अपनी ही शिकायत पर गुजरात हाईकोर्ट से रोक लगाने की मांग की और हाईकोर्ट ने रोक भी लगा दी.
लाखों मामले पेंडिंग लेकिन इसमें तत्परता:स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, "इन सबके बीच देशभर में 4000 किमी की भारत जोड़ो पदयात्रा के बाद जब राहुल गांधी ने 7 फरवरी 2023 को लोकसभा में अडानी और पीएम मोदी के रिस्तों पर सवाल उठाए. इस मामले में भाषण दिया. उसके बाद ही 16 फरवरी को शिकायतकर्ता ने गुजरात हाईकोर्ट में रहने के अपने अनुरोध को वापस ले लिया. फिर से निचली अदालत में 27 फरवरी से सुनवाई शुरू हो गई. ट्रायल कोर्ट ने 23 मार्च को राहुल गांधी को दोषी ठहराया और अधिकतम दो वर्ष की सजा सुना दी गई. उन्होंने कहा कि देश में अनेकों मानहानि के केस पेंडिंग पड़े हुए है, लेकिन इस मामले इतनी तत्परता. तत्परता भी ऐसी कि सदन में उद्बोधन देने के बाद तत्काल केस फिर से खुल गया. सुनवाई के बाद सजा भी हो गई."